कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अमेरिका में आठ से 11 अगस्त के बीच जो कुछ कहा उसे लेकर भारतीय जनता पार्टी ने राहुल के खिलाफ जो पहली शिकायत दर्ज कराई वह 19 सितंबर को कराई। सोचें, करीब 10 दिन तक भाजपा के नेता किस बात का इंतजार कर रहे थे? अगर राहुल ने आरक्षण को लेकर और सिखों की लेकर जो कहा वह इतना ही आहत करने वाला था या देश की एकता, अखंडता और सामाजिक ताने बाने को बिगाड़ने वाला था तो भाजपा नेताओं ने तुरंत मुकदमा दर्ज क्यों नहीं कराया? भाजपा नेताओं ने विरोध शुरू कर दिया था। उसके नेताओं ने राहुल गांधी के खिलाफ प्रदर्शन भी कर दिया था और धमकी भी दे थी लेकिन कहीं पर भी मुकदमा दर्ज नहीं कराया था।
इस बीच कांग्रेस पार्टी ने राहुल के लिए कहे जा रहे अपशब्द और धमकियों को लेकर मुकदमा दर्ज कराया। कांग्रेस नेता अजय माकन ने भाजपा नेता तरविंदर सिंह मारवाह और रवनीत सिंह बिट्टू व भाजपा की सहयोगी शिव सेना के एक नेता के बयानों के खिलाफ दिल्ली के तुगलक रोड थाने में मुकदमा दर्ज कराया। यह मुकदमा दर्ज होने के बाद भाजपा तो लगा कि जवाबी कार्रवाई करनी चाहिए तो उसके एक दिन बाद ही मुकदमे दर्ज करने का सिलसिला शुरू किया। उसने जवाबी कार्रवाई में सिर्फ एक मुकदमा दर्ज नहीं किया, बल्कि 19 अगस्त को दिल्ली के साथ साथ उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी राहुल के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। इसके एक दिन के बाद कर्नाटक में भी भाजपा के नेताओं ने लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। सोचें, भाजपा नेताओं की भावना आहत हुई थी नौ या 10 सितंबर को लेकिन उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ 19 और 20 सितंबर को। जाहिर यह भावना आहत होने का मामला नहीं है, बल्कि शिकायत के बदले शिकायत करने की बदलने की कार्रवाई है।