राहुल गांधी इस बार बेलगावी रैली के लिए समय नहीं निकाल पाए। हालांकि यह पता नहीं है कि मंगलवार, 21 जून को वे कहां बिजी थे क्योंकि पूरे दिन में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उनकी एक दो पोस्ट दिखाई दी, जो उन्होंने अर्थव्यवस्था या बिहार के छात्रों से पिछले दिनों हुई बातचीत को लेकर डाली थी। जाहिर है उनका कोई राजनीतिक कार्यक्रम नहीं था और दिल्ली चुनाव में कोई सभा भी नहीं थी। फिर भी वे महात्मा गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के एक सौ साल पूरे होने के मौके पर कर्नाटक के बेलगावी में हुई रैली में शामिल होने का समय नहीं निकाल पाए। यह रैली 27 दिसंबर को होनी थी और उससे एक दिन पहले कांग्रेस कार्य समिति की विशेष बैठक वही रखी गई थी। कार्य समिति की बैठक के दिन ही देर शाम में पूर्व प्रधानमंत्री मनममोहन सिंह का निधन हो गया, जिसकी वजह से रैली टल गई।
उस समय प्रियंका गांधी वाड्रा कर्नाटक में कार्य समिति की बैठक में शामिल होने नहीं गई थीं। तब इस पर सवाल उठा था। अब 21 जनवरी को ‘जय बापू, जय भीम, जय संविधान रैली’ हुई तो प्रियंका गईं लेकिन राहुल समय नहीं निकाल पाए। सवाल है कि इतने ऐतिहासिक मौके पर हो रहे कार्यक्रम में भी शामिल होने का समय राहुल क्यों नहीं निकाल पाए? क्या कोई ऐसा फैसला हुआ है कि वे और प्रियंका दोनों एक साथ किसी कार्यक्रम में नहीं दिखेंगे? हो सकता है कि ऐसा कोई फैसला हुआ हो लेकिन तब भी संविधान को लेकर हो रहे किसी कार्यक्रम में तो कायदे से राहुल को जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने ही संविधान और भीमराव अंबेडकर का मुद्दा बनाया हुआ है। हर जगह संविधान सुरक्षा सम्मेलन में वे ही शामिल हो रहे हैं। बहरहाल, अब देखना होगा कि राहुल और प्रियंका के अलग अलग चलने का यह नियम कब तक चलता है।