गुजरात हाई कोर्ट के फैसले के बाद अब चुनाव आयोग पर दबाव है कि वह वायनाड लोकसभा सीट पर उपचुनाव के बारे में फैसला करे। राहुल गांधी को मानहानि के मामले में 22 मार्च को सजा हुई थी और उसके अगले दिन उनकी लोकसभा की सदस्यता समाप्त हो गई थी। इसके साथ ही वायनाड सीट खाली घोषित हो गई थी। इस तरह से साढ़े तीन महीने हो गए हैं सीट खाली हुए। जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 के मुताबिक अगर किसी खाली हुई लोकसभा सीट का कार्यकाल एक साल या उससे ज्यादा बाकी है तो आयोग को छह महीने के अंदर वहां उपचुनाव कराना होगा। राहुल गांधी का कार्यकाल 16 जून 2024 तक है। इसका मतलब है कि जब सीट खाली हुई थी तब से एक साल से ज्यादा समय बाकी थी।
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने कहा है कि आयोग के सामने चुनाव घोषित करने में कोई कानूनी बाधा नहीं है। पूर्व चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा है कि आयोग को जल्दी चुनाव की घोषणा करनी चाहिए। उन्होंने कहा है कि चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई और फैसले का इंतजार नहीं करना चाहिए। तभी सवाल है कि आयोग क्या करेगा? उसे नियम के मुताबिक अगले ढाई महीने में चुनाव कराना है। हालांकि अब जो भी सांसद चुना जाएगा उसका कार्यकाल एक साल से कम का होगा।
इस मामले का दूसरा पहलू यह है कि अगर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई और सजा पर रोक लग गई तो आयोग को पीछे हटना होगा। आयोग के जानकार सूत्रों का कहना है कि अभी भले सुनवाई में देरी हो सकती है लेकिन अगर आयोग ने चुनाव की घोषणा कर दी तो कांग्रेस जल्दी सुनवाई के लिए कहेगी और अदालत उसके लिए तैयार हो सकती है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार ही बेहतर होगा। इसका एक पहलू यह भी है कि तीन और लोकसभा की सीटें खाली हैं। एक लोकसभा सीट तो पिछले महीने खाली हुई है। ऐसा लग नहीं रहा है कि चुनाव आयोग उन सीटों पर उपचुनाव कराने पर विचार कर रहा है।