लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के नाते कांग्रेस के राहुल गांधी ने पहले भाषण में जो तेवर दिखाए हैं उससे भाजपा नेताओं की नींद उड़ी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भाषा में कांग्रेस के नेता कह रहे हैं कि यह तो ट्रेलर था। पूरी फिल्म अभी बाकी है। इसका मतलब है कि 18वीं लोकसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच लगातार टकराव चलता रहेगा। ऐसे में भाजपा को बड़ी चिंता इस बात की है कि राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष के नाते लोक लेखा समिति यानी पीएसी के चेयरमैन होंगे। पिछले 10 साल से तो पीएसी की बैठकों में क्या होता था किसी को पता नहीं चल पाता था। पहले पांच साल मल्लिकार्जुन खड़गे और फिर अधीर रंजन चौधरी पीएसी के अध्यक्ष थे।
अब राहुल गांधी पीएसी के अध्यक्ष होंगे तो इसकी बैठकों पर मीडिया का अटेंशन भी ज्यादा होगा और कांग्रेस भी पूरी तैयारी करेगी। ध्यान रहे पिछले 10 साल से लगातार पीएसी में भेजी जाने वाली रिपोर्ट की संख्या कम होती गई है। सरकार के कामकाज का हिसाब इस कमेटी को भेजना होता है। लेकिन या तो सीएजी के यहां से रिपोर्ट नहीं आती है और अगर आती भी है तो पीएसी की बैठक में उस पर अच्छी चर्चा नहीं होती है। एकाध मुद्दों पर चर्चा हुई तो सरकार ने अपने भारी बहुमत के दम पर उसे वही दबा दिया। अब कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियों की ताकत बढ़ी है इसलिए पीएसी में उनके भी ज्यादा सदस्य होंगे। सरकार का समर्थन करने वाले तटस्थ सांसद भी पहले होते थे लेकिन अब उनकी संख्या नगण्य है। सो, सत्तापक्ष और विपक्ष का सीधा मुकाबला होगा और सरकारी विभागों के खर्च और योजनाओं के हिसाब किताब का मुद्दा संसद में भी उठेगा।