कांग्रेस नेता राहुल गांधी कई तरह के कमाल कर रहे हैं। उन्होंने चार महीने तक भारत जोड़ो न्याय यात्रा की लेकिन उसमें कांग्रेस का झंडा नहीं दिखा और बार बार कांग्रेस के संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश कहते रहे कि यह राजनीतिक यात्रा नहीं है। सोचें, ऐन लोकसभा चुनाव से पहले राहुल की यात्रा चल रही थी और उसे अराजनीतिक यात्रा बताया जा रहा था।
क्या कांग्रेस नेता इस भ्रम मे थे कि वे अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल जैसा कोई जादू कर देंगे और देश मान लेगा कि सचमुच राहुल गांधी देश और लोकतंत्र बचाने निकले हैं? कांग्रेस के कई नेता मान रहे थे कि अराजनीतिक यात्रा बताने से भाजपा के कुछ समर्थक भी बात सुनेंगे लेकिन ऐसा कुछ नहीं होता है।
बहरहाल, अब खबर है कि राहुल गांधी ने बुधवार को केरल की वायनाड सीट पर दूसरी बार नामांकन दाखिल किया तो उससे पहले हुए रोड शो में किसी पार्टी का झंडा नहीं शामिल किया गया। बिना झंडे के पूरा रोड शो था। कहा जा रहा है कि पिछली बार कांग्रेस की सहयोगी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के कार्यकर्ता उनके नामांकन में शामिल हुए थे तो उन्होंने पार्टी का हरा झंडा लिया था, जिसे भाजपा ने पाकिस्तान का झंडा बता कर अटैक किया था।
सोचें, क्या इस डर से कोई पार्टी अपना या अपनी सहयोगी पार्टी का झंडा लगाने से इनकार कर सकती है? कांग्रेस ने वायनाड में ऐसा किया है, जहां उसकी असली लड़ाई सीपीआई से है। भाजपा लड़ाई में नहीं है फिर भी उसकी चिंता में कांग्रेस ने अपना और सहयोगी पार्टी दोनों का झंडा ही छोड़ दिया। अब पूरा चुनाव बिना झंडे के लड़ा जाएगा!