महाराष्ट्र में एनसीपी टूट गई है। अजित पवार कुछ विधायकों और सांसदों के साथ अलग होकर भाजपा-शिव सेना की सरकार में शामिल हो गए हैं। उधर बिहार में जनता दल यू के टूटने की चर्चा भाजपा के नेताओं ने चलाई हुई है। इन दोनों में मामलों में तमाम दूसरी बातों के अलावा राहुल गांधी और तेजस्वी यादव का नाम भाजपा के नेता जरूर ले रहे हैं। भाजपा नेताओं के अलावा कुछ समर्पित पत्रकार भी राहुल गांधी और तेजस्वी यादव का नाम इस मामले में ले आ रहे हैं। एक बड़ी न्यूज एजेंसी ने तो सूत्रों के हवाले से खबर चलाई कि राहुल गांधी के कारण एनसीपी में टूट हुई है। सोचें, अब तक कांग्रेस पार्टी के नेताओं के पार्टी छोड़ने के मामले में कहा जाता था कि राहुल की वजह से अमुक नेता ने पार्टी छोड़ दी। अब कहा जा रहा है की दूसरी पार्टियों में भी राहुल के नाम पर टूट हो रही है।
महाराष्ट्र में रविवार को जैसे ही अजित पवार की बगावत की खबर आई और यह बताया गया कि राजभवन पहुंचे हैं वैसे ही ट्विट आने लगे कि एनसीपी के नेताओं को यह बरदाश्त नहीं हुआ कि शरद पवार पटना जाकर राहुल गांधी के साथ बैठक में शामिल हुए और राहुल गांधी को उन्होंने नेता माना। हालांकि यह पहली बार नहीं था, जब पवार और राहुल एक साथ बैठक में शामिल हुए और दूसरे, राहुल को किसी ने नेता भी नहीं बनाया था। फिर भी आनन-फानन में यह खबर चलाई गई कि राहुल के कारण एनसीपी टूटी। हकीकत यह है कि किसी भी तर्क से सोचें तो राहुल गांधी एनसीपी टूटने का आखिरी कारण होंगे। फिर भी राहुल के नेतृत्व को पंक्चर करने के लिए चल रही विशाल इंडस्ट्री की मशीनें काम पर लगी हैं।
इसी तरह बिहार में तेजस्वी यादव के नेतृत्व को पंक्चर करने की मुहिम चल रही है और इसके तहत कहा जा रहा है कि तेजस्वी की वजह से जदयू में टूट होगी। सुशील मोदी ने इसका सबसे ज्यादा प्रचार किया है कि जदयू के विधायक टूट रहे हैं। इसके बाद भाजपा के दूसरे नेताओं ने यह प्रचार किया कि जदयू के नेताओं को कबूल नहीं है कि तेजस्वी को नीतीश अपना उत्तराधिकारी बनाएं। ध्यान रहे तेजस्वी को नीतीश अपना उत्तराधिकारी बना चुके हैं और पिछले ही साल कह चुके हैं कि अगला विधानसभा चुनाव तेजस्वी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। लेकिन अब भाजपा ने इस बहाने जदयू में फूट की कहानी चलानी शुरू की है।