राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

राहुल-वरुण की मुलाकात के मायने

क्या सचमुच केदारनाथ धाम में राहुल गांधी और उनके चचेरे भाई वरुण गांधी की मुलाकात संयोग थी? कई लोग बता रहे हैं कि यह संयोग था। अगर यह संयोग था तो कहा जा सकता है कि पूरी कायनात ने बहुत मेहनत करके यह संयोग निर्मित किया। राहुल गांधी तीन दिन से केदारनाथ में थे और उनकी तस्वीरें व खबरें लगातार सामने आ रही थी। आमतौर पर लोग केदारनाथ के दर्शन करके उसी दिन लौट आते हैं। लेकिन राहुल रूके रहे। उनकी यात्रा के तीसरे दिन वरुण गांधी अपनी पत्नी और बेटी के साथ भगवान केदारनाथ के दर्शन करने पहुंचे। खबरों के मुताबिक उनके पहुंचने की जानकारी मिली तो राहुल उनसे मिलने गए और करीब 45 मिनट तक दोनों के बीच बातचीत हुई।

अब सवाल है कि इस संयोग के क्या मायने हैं? क्या दोनों भाइयों के बीच मौसम, खेलकूद, खानपान और परिवार की बातें हुईं या राजनीतिक बातचीत भी हुई? कुछ समय पहले राहुल गांधी ने कहा था कि उनकी और वरुण की विचारधारा अलग अलग है। राहुल ने कहा था कि वे किसी हाल में आरएसएस के साथ नहीं जा सकते हैं। लेकिन उसके बाद से स्थितियां बहुत बदल गई हैं। अब वरुण गांधी भी आरएसएस के साथ नहीं हैं। वे अपनी पार्टी के भाजपा के खिलाफ स्टैंड लेकर खड़े हैं। वे राज्य व केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल उठा रहे हैं। चाहे जिस राजनीतिक मजबूरी में हो लेकिन उनकी विचारधारा बदली हुई दिख रही है। तभी सवाल है कि क्या विचारधारा का यह बदलाव उनको राहुल और कांग्रेस के करीब ले आएगा? कई लोग मानते हैं कि मेनका गांधी नहीं चाहती हैं इसलिए अभी तक परिवार की एकजुटता नहीं बनी है। लेकिन अब राजनीतिक रूप से वरुण के लिए जरूरी है कि वे अपने को कहीं स्थापित करें। यह तो साफ दिख रहा है कि वे भाजपा की टिकट से चुनाव नहीं लड़ेंगे और उनकी मां को इस बार भाजपा टिकट नहीं देगी। तभी यह देखना दिलचस्प होगा कि वे अगला कदम क्या उठाते हैं।

By NI Political Desk

Get insights from the Nayaindia Political Desk, offering in-depth analysis, updates, and breaking news on Indian politics. From government policies to election coverage, we keep you informed on key political developments shaping the nation.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *