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तृणमूल के राज्यसभा सांसदों की चिंता

अगले महीने राज्यसभा की 10 सीटों के चुनाव होने वाले हैं। इनमें से छह सीटें पश्चिम बंगाल की हैं। इसके अलावा तीन सीट गुजरात की और एक गोवा की है। गुजरात की तीनों सीट भाजपा के खाते में जाएगी। इनमें से एक सीट विदेश मंत्री एस जयशंकर की है, जिनका फिर से चुना जाना तय है। गोवा की एकमात्र सीट भी भाजपा को मिलेगी। असली मुकाबला पश्चिम बंगाल की छह राज्यसभा सीटों की है, जो 18 अगस्त को खाली हो रही हैं। इन सीटों पर अगले महीने चुनाव होगा। राज्य में एक सीट जीतने के लिए 43 वोट की जरुरत होगी। इस लिहाज से 75 विधायकों वाली भाजपा एक सीट जीतेगी और पांच सीटें तृणमूल कांग्रेस के खाते में जाएगी। लेकिन संभव है कि भाजपा दो सीटों पर उम्मीदवार उतार कर मुकाबला बनवाए। हालांकि सफलता की कोई गुंजाइश नहीं है।

अभी पश्चिम बंगाल की छह में से पांच सीटें तृणमूल कांग्रेस के पास हैं और सीट पर कांग्रेस के प्रदीप भट्टाचार्य जीते थे। इस बार भी तृणमूल को पांच सीटें मिल जाएंगी। एक सीट का नुकसान कांग्रेस को होगा और भाजपा को एक सीट का फायदा होगा। तृणमूल की प्रमुख ममता बनर्जी अपने सभी पांच सांसदों को रिपीट करेंगी या उनमें बदलाव होगा? किसी को अंदाजा नहीं है। यहां तक कि डेरेक ओ ब्रायन की सीट को लेकर भी सवाल हैं। हालांकि जानकार सूत्रों का कहना है कि डेरेक ओ ब्रायन को तीसरा मौका मिल जाएगा। महिला कांग्रेस की अध्यक्ष रही सुष्मिता देब को बड़ी उम्मीद से ममता ने अपनी पार्टी में लिया था लेकिन अभी तक कोई फायदा नहीं हुआ है। तभी उनकी सीट पर सवाल है। सुखेंदु शेखर रॉय को बंगाल से बाहर जिम्मेदारी मिली हुई है इसलिए कहा जा रहा है कि उनको भी एक मौके मिल सकता है। दो महिला सांसदों डोला सेन और शांता छेत्री भी अपनी सीट को लेकर आशंकित हैं।

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