केंद्र सरकार में देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय का कोई प्रतिनिधि नहीं है। एक साल पहले तक मुख्तार अब्बास नकवी और उससे कुछ समय पहले तक एमजे अकबर केंद्र सरकार में मंत्री होते थे। लेकिन जैसे जैसे 2024 का चुनाव नजदीक आता गया वैसे वैसे मुस्लिम नेताओं की छुट्टी होती गई। अब स्थिति यह है कि केंद्र सरकार में कोई मुस्लिम मंत्री नहीं है। इतना ही नहीं संसद के दोनों सदनों में भी भाजपा का एक भी मुस्लिम सांसद नहीं है। सोचें, दोनों सदनों को मिला कर भाजपा के कुल सांसदों की संख्या 393 है लेकिन उनमें एक भी मुस्लिम नहीं है। पिछले चुनाव में भाजपा ने किसी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट भी नहीं दिया था।
तभी जब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने दो मुस्लिम नेताओं को अपनेसंगठन में उपाध्यक्ष बनाया तो वह हैरान करने वाला फैसला लगा। नड्डा ने उत्तर प्रदेश के विधान परिषद सदस्य और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कुलपति रहे तारिक मंसूर को उपाध्यक्ष बनाया है। वे पसमांदा मुस्लिम हैं, जिन पर ध्यान देने के लिए प्रधानमंत्री ने कहा है। पिछले साल हैदराबाद में हुई पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रधानमंत्री ने सभी नेताओं से कहा था कि वे पसमांदा यानी पिछड़ी जाति के मुसलमानों से संपर्क बढ़ाएं और उन्हें भाजपा के साथ जुड़ने के लिए प्रेरित करें। पता नहीं इसका कितना फायदा होगा लेकिन भाजपा यह काम बहुत शिद्दत से कर रही है।
नड्डा की टीम में दूसरे मुस्लिम उपाध्यक्ष अब्दुल्ला कुट्टी हैं, जो केरल से आते हैं। केरल में भाजपा किसी तरह से पैर जमाने की कोशिश कर रही है। उसको लग रहा है कि आजादी के बाद से ही कांग्रेस और लेफ्ट के बीच बंटी इस राज्य की राजनीति में भाजपा के लिए अवसर बन सकता है। इसलिए राज्य में मजबूत असर वाले दोनों अल्पसंख्यक समुदायों को साधने में भाजपा लगी है। इसलिए अब्दुल्ला कुट्टी के साथ साथ ईसाई समुदाय के अनिल एंटनी को भी नड्डा की टीम में लिया गया है। वे कांग्रेस के दिग्गज नेता एके एंटनी के बेटे हैं। नड्डा ने उनको पार्टी का राष्ट्रीय सचिव बनाया है।