पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को आरजी कर अस्पताल की जूनियर डॉक्टर से बलात्कार और हत्या के मामले में सीबीआई की जांच और सियालदह जिला अदालत के फैसले से बड़ा मौका मिल गया है। अब उन्होंने पहल अपने हाथ में ले ली है। सियालदह कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद राज्य सरकार हाई कोर्ट पहुंच गई और हाई कोर्ट ने उसे फैसले के खिलाफ अपील करने की मंजूरी भी दे दी। इससे पहले ममता ने जांच और फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर राज्य की पुलिस जांच कर रही होती तो जूनियर डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के दोषी को निश्चित रूप से फांसी की सजा दिलाती। अब फांसी की सजा की मांग लेकर उनकी सरकार हाई कोर्ट पहुंची है।
ध्यान रहे इस मामले में ममता बनर्जी को बड़ा नुकसान हुआ था। महिला संगठन और सिविल सोसायटी पूरी तरह से उनके खिलाफ हो गई दिख रही थी। संदेशखाली के बाद महिलाओं के साथ बर्बरता का यह दूसरा बड़ा मामला था। ममता की सरकार और पार्टी दोनों बैकफुट पर थे। हाई कोर्ट ने कोलकाता पुलिस से जांच लेकर सीबीआई को सौंपने का फैसला किया तो वह भी एक झटका था। लेकिन सीबीआई ने वही जांच किया, जो राज्य की पुलिस कर रही थी। उसकी जांच में भी बड़ी साजिश या अन्य लोगों के शामिल होने के सबूत नहीं मिले। यहां तक कि आरजी कर अस्पताल के प्रिंसिपल संदीप घोष को सीबीआई के आरोपपत्र दाखिल नहीं करने की वजह से जमानत भी मिल गई। सीबीआई की ऐसी जांच और सियालदह कोर्ट के फैसले से ममता को अपनी खोई साख वापस हासिल करने का मौका मिल गया है वह भी चुनाव से एक साल पहले।