पता नहीं भाजपा के शीर्ष नेतृत्व तक उनकी बात पहुंच रही है या नहीं लेकिन तमाम दक्षिणपंथी ट्रोल्स, जिनको दक्षिणपंथी विचारक, चिंतक, बौद्धिक या व्यंग्यकार कहा जाता है, सब काफी दुखी हैं। हो सकता है कि पहले भी दुखी रहते हों लेकिन अब बदलाव यह आया है कि वे खुल कर अपने दुख का इजहार करने लगे हैं। पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हर कदम को मास्टरस्ट्रोक बता कर उसको जस्टिफाई करने वाले सोशल मीडिया के वॉरियर्स अब उन पर सवाल उठाने लगे हैं। चार जून को आए लोकसभा चुनाव के नतीजों का एक असर यह भी है, जिस पर आमतौर पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जनता ने भाजपा को कमजोर किया तो उसके समर्थक भी आंखें दिखाने लगे हैं और खुल कर अपने हिस्से की मांग करने लगे हैं। उनको इस बात से सबसे ज्यादा नाराजगी है कि भाजपा की केंद्र की और राज्यों की सरकारों पुराने प्रतिबद्ध लोगों की बजाय बाहर से आए लोगों को तरजीह दे रही हैं।
इस दुख का सबसे बड़ा प्रकटीकरण पिछले दिनों हुआ, जब पुराने पत्रकार और ‘इंडिया टुडे’ हिंदी के संपादक रहे दिलीप मंडल को सूचना व प्रसारण मंत्रालय में सलाहकार बनाने की खबर आई। नौकरशाही की खबरें देने वाली एक वेबसाइट ने इस बारे में खबर दी थी। हालांकि खबर की कभी पुष्टि नहीं हुई थी। लेकिन सोशल मीडिया में सक्रिय तमाम दक्षिणपंथी वॉरियर मंडल के खिलाफ आंदोलित हो गए। उन्होंने मंडल के पुराने ट्विट्स निकाल कर शेयर किए, जिनमें उन्होंने भाजपा, नरेंद्र मोदी, संघ प्रमुख मोहन भागवत और हिंदू देवी देवताओं के बारे में काफी अनाप शनाप बातें लिखी थीं। वे अपने काफी ट्विट डिलीट कर रहे थे या कर चुके थे फिर भी लोगों ने उनके स्क्रीनशॉट्स शेयर किए। जितनी तादाद में भाजपा विरोधी लोग मंडल के ट्विट्स शेयर करके मजे ले रहे थे उसे ज्यादा दक्षिणपंथी लोग अपनी पीड़ा का इजहार कर रहे थे। बाद में खबर आई कि शायद उनकी नियुक्ति रूक गई है।
इससे पहले भाजपा ने राज्यसभा उपचुनाव के लिए नौ उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया तब भी भाजपा समर्थक ट्रोल्स में बड़ी खलबली देखने को मिली। सब एक दूसरे के नाम लेकर सोशल मीडिया में पोस्ट कर रहे थे और कह रहे थे उनको अपने लिए नहीं चाहिए लेकिन अमुक व्यक्ति तो बहुत योग्य है और भाजपा की विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध है तो उसे क्यों नहीं दिया गया जो किरण चौधरी और रवनीत सिंह बिट्टू जैसों को राज्यसभा दी जा रही है! इस किस्म के सवाल उठाने वाले तमाम लोग पहले भाजपा के ऐसे ही कदमों को मास्टरस्ट्रोक बताते थे। बहरहाल, इनकी एक और खास बात यह दिख रही है ये अपने को हिंदुत्व का ज्यादा सच्चा सिपाही बता रहे हैं और अपनी ही सरकार को ट्रोल कर रहे हैं कि वह हिंदुत्व के रास्ते से हट रही है। ऐसी बेचैनी है इस जमात में या कुछ नहीं मिलने की वजह से सरकार से ऐसा मोहभंग है कि इन लोगों ने कंगना रनौत को फटकार लगाने के भाजपा के फैसले का भी विरोध किया है। यह जमात कह रही है कि कंगना ने कुछ गलत नहीं कहा था। इतना ही नहीं कुछ लोगो ने तो भाजपा नेताओं के पुराने ट्विट्स निकाल कर सोशल मीडिया में शेयर कर दिए, जिनमें उन लोगों ने वही बातें कही हैं, जो कंगना अभी कह रही हैं।