लोकसभा चुनाव के बाद राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के संबंधों को लेकर चल रहे कयासों पर अब विराम लग जाना चाहिए। रांची में प्रांत प्रचारकों की बैठक के बाद संघ ने साफ संकेत दिया है कि भाजपा को उसका समर्थन मिलता रहेगा और दोनों के बीच किसी तरह का तनाव नहीं है। तीन दिन की बैठक की जानकारी देने के लिए हुई प्रेस कांफ्रेंस में अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने इन बातों का भी खंडन किया कि संघ ने चुनाव में भाजपा की मदद नहीं की। उन्होंने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की ओर से दिए गए बयान पर भी स्पष्टीकरण दिया।
गौरतलब है कि नड्डा ने चुनाव के बीच बयान दिया था कि भाजपा को पहले संघ की जरुरत थी लेकिन अब भाजपा खुद आत्मनिर्भर पार्टी है। इस बारे में पूछे जाने पर आंबेकर ने कहा कि संघ कभी भी राजनीतिक गतिविधियों में नहीं शामिल होता है। लेकिन इसके आगे उन्होंने जो कहा वह अहम है। उन्होंने कहा कि संघ ‘लोकमत परिष्कार’ का काम करता है और वह काम उसने इस बार भी किया है। कहने की जरुरत नहीं है कि लोकतंत्र में ‘लोकमत परिष्कार’ ही सबसे बड़ा काम है। यह संघ की खास शब्दावली है, जिसका मतलब है कि मतदाताओं के बीच काम करना, उनके बीच धारणा बनवाना और किसी खास राजनीतिक दल को मतदान करने के लिए प्रेरित करना। यह सबसे बड़ा काम होता है और संघ ने स्पष्ट कर दिया कि यह निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है और इस बार के चुनाव में भी उसने यह काम किया है। सोचें, अगर भाजपा के समर्थन में संघ जनमत निर्माण का काम करे तो उसके बाद और किस मदद की जरुरत रह जाती है?
बहरहाल, तीन दिन तक प्रांत प्रचारकों की बैठक हुई लेकिन संघ प्रमुख 10 दिन तक रांची में रूके। 12 जुलाई से होने वाली बैठक में हिस्सा लेने के लिए वे तीन दिन पहले ही झारखंड पहुंच गए थे और 18 जुलाई तक रुके। इस दौरान बैठक से इतर उन्होंने अनेक समूहों के लोगों से मुलाकात की और उनके साथ संवाद किया। इस दौरान संघ के तमाम शीर्ष पदाधिकारी रांची में रहे और उनके साथ भी अलग अलग पहलुओं पर विचार किया गया। मूल रूप से बताया जा रहा है कि संघ की स्थापना के शताब्दी समारोह की तैयारियों पर चर्चा हुई। गौरतलब है कि अगले साल संघ की स्थापना के सौ साल पूरे हो रहे हैं, जिसका समारोह इस साल विजयादशमी से शुरू हो जाएगा।
लेकिन संघ प्रमुख का 10 दिन रांची में रहना मामूली बात नहीं है वह भी तब, जबकि राज्य में अगले तीन महीने में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। प्रांत प्रचारक स्तर की सालाना बैठक के लिए रांची का चयन और वहां संघ प्रमुख का 10 दिन तक रहना इस बात का इशारा है कि आदिवासी बहुल इस राज्य पर संघ की खास नजर है। ईसाई मिशनरियों की सक्रियता और मुस्लिम घुसपैठ दोनों की वजह से झारखंड संघ की खास तवज्जो का केंद्र रहा है। माना जा रहा है कि इस बैठक के बाद संघ और भाजपा संगठन के बीच तालमेल बेहतर होगा।