Savarkar Shivaji: भारत में कम ही महापुरुष हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण हैं और जिनकी पूरे देश में प्रतिमाएं लगती हैं या जिनके नाम पर सड़कें, कॉलेज, अस्पताल आदि बनते हैं।
अन्यथा ज्यादा महापुरुष अपने अपने राज्यों तक सीमित हैं। मिसाल के तौर पर छत्रपति शिवाजी की बहुत प्रतिष्ठा है लेकिन महाराष्ट्र जैसी पूजा और कहीं नहीं होती है।
उसके बाद राजधानी दिल्ली में उनके नाम पर बस टर्मिनस, मेट्रे स्टेशन या कॉलेज बने हैं। ऐसे ही विनायक दामोदर सावरकर के नाम पर तो महाराष्ट्र के बाहर संभवतः कुछ भी नहीं है।
लेकिन ऐसा लग रहा है कि भारतीय जनता पार्टी किसी खास योजना के तहत इन दोनों महापुरुषों को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने के अभियान में जुटी है।
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इसकी मिसाल यह है कि केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा लगाई गई है और वह भी पैंगोंग झील के पास। पर्यावरण के लिहाज से वह बहुत संवेदनशील इलाका है, जहां इस तरह की चीजों के लिए जगह नहीं होती है।
लेकिन पैंगोंग झील के पास सेना की मराठा रेजिमेंट ने शिवाजी महाराज की मूर्ति लगाई है। पर्यावरण और स्थानीय कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध किया है तो सेना के भी कुछ रिटायर लोगों ने इस पर सवाल उठाए हैं।
ऐसे ही दिल्ली में सावरकर के नाम पर कॉलेज खोलने की घोषणा हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में इसका शिलान्यास किया। दिल्ली विश्वविद्यालय के तहत पश्चिमी दिल्ली के नजफगढ़ में यह कॉलेज बनेगा।
ऐसा लग रहा है कि राष्ट्रवाद और हिंदुत्व की दूरगामी राजनीति को ध्यान में रख कर भाजपा दो मराठा महापुरुषों को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित कर रही है।