अब जबकि एनसीपी सुप्रीमो और मराठा क्षत्रप शरद पवार की पार्टी टूट गई है और उनके भतीजे अजित पवार ने भाजपा को समर्थन देकर उप मुख्यमंत्री का पद हासिल कर लिया है तो हर व्यक्ति इसके पीछे की कहानी तलाश रहा है। एक बात पर सभी लोग सहमत हैं कि शरद पवार को पहले से इसकी जानकारी होगी। कई लोग यह भी मानते हैं कि पवार सीनियर के समर्थन और आशीर्वाद से ही अजित पवार ने इस काम को अंजाम दिया है। हालांकि खुद शरद पवार ने इसे बकवास बताते हुए खारिज किया है। बहरहाल, इस घटनाक्रम के पीछे की जो कहानियां तलाशी जा रही हैं उनमें एक कहानी देश के दूसरे सबसे बड़े उद्योगपति गौतम अडानी से जाकर जुड़ती है। पिछले तीन महीने से कम समय में शरद पवार और गौतम अडानी की दो बार मुलाकात हुई है।
क्या यह सिर्फ संयोग है कि हाल के दिनों में सार्वजनिक रूप से पहली बार पवार और अडानी की मुलाकात हुई और उसके बाद इतने सहज तरीके से शरद पवार की पार्टी टूट गई? पहली बार 20 अप्रैल को शरद पवार से मिलने गौतम अडानी उनके घर गए थे। उस दिन दोनों के बीच कोई दो घंटे मीटिंग चली। इस मुलाकात के 12 दिन बाद दो मई को शरद पवार ने पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया था। वह ड्रामा भी एक हफ्ते चला। उसके बाद फिर एक जून को अडानी ने पवार के घर जाकर उनसे मुलाकात की। यह मुलाकात आधे घंटे की थी। बाद में पवार ने बताया कि सिंगापुर से कोई डेलिगेशन उनके पास आया था, जिसे किसी तकनीकी मसले पर अडानी से बात करनी थी। इस मुलाकात के एक महीने बाद शरद पवार की पार्टी टूट गई। हो सकता है कि यह संयोग हो लेकिन ऐसे संयोगों से ही तो देश की राजनीति भी चलती है।