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शिवराज के बयान का क्या मतलब है?

shivraj singh chouhan

shivraj singh chouhan: केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पंजाब और हरियाणा के बॉर्डर पर चले रहे किसानों के आंदोलन को लेकर नए साल के मौके पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में जो फैसला सुनाएगा सरकार उसको स्वीकार करेगी।

केंद्रीय मंत्री ने यह बात तब कही है, जब सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में केंद्र सरकार मूकदर्शक की तरह शामिल हो रही है।

आमरण अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के मामले में पिछली सुनवाई के दौरान जब जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से उनकी राय पूछी तो उन्होंने कहा कि उन्हें केंद्र की तरफ से इस मामले में कोई निर्देश नहीं हैं। यानी केंद्र सरकार डल्लेवाल के मामले में तमाशबीन है।

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यह अलग बात है कि जिस बात के लिए डल्लेवाल आमरण अनशन कर रहे हैं और पंजाब व हरियाणा के शंभू व खनौरी बॉर्डर पर सैकड़ों किसान 10 महीने से ज्यादा समय से प्रदर्शन कर रहे हैं वह केंद्र सरकार से जुड़ी है।

किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की कानूनी गारंटी सहित 13 मांगें कर रहे हैं। इन पर फैसला केंद्र को करना है। फिर भी केंद्र सरकार इस मसले पर कुछ नहीं बोल रही है। उलटे हरियाणा की भाजपा सरकार किसानों को दिल्ली मार्च करने से रोक रही है।

तभी सुप्रीम कोर्ट का फैसला मानने की केंद्रीय कृषि मंत्री की बात का अर्थ समझ में नहीं आया। क्या सुप्रीम कोर्ट कह देगा कि एमएसपी की कानूनी गारंटी दें तो केंद्र सरकार दे देगी? यह संभव नहीं है।

अगर सुप्रीम कोर्ट कह दे कि किसानों को दिल्ली आने दें तब भी सरकार इसके लिए तैयार होगी, इसमें संदेह है। हां, अगर सुप्रीम कोर्ट कहे कि सरकार किसानों से बात करे तो वह बात जरूर सरकार मान सकती है।

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