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भीख मांग कर स्पेस क्यों नहीं गए?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारत के एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला के अंतरिक्ष में जाने और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन यानी आईएसएस पर जाकर शोध करने के लिए बधाई दी और उनको शुभकामनाएं दीं। लेकिन कांग्रेस का पूरा सोशल मीडिया इकोसिस्टम, इस बात का मुद्दा बनाए हुए है कि भारत सरकार ने पैसा खर्च करके शुभांशु शुक्ला को अंतरिक्ष में क्यों भेजा, जबकि इंदिरा गांधी के समय सोवियत संघ राकेश शर्मा को मुफ्त में अंतरिक्ष लेकर गया था। अच्छे अच्छे पत्रकारों, स्तंभकारों और कांग्रेस के लिए मीडिया में तलवार भांजने वालों ने इसका तुलनात्मक ब्योरा सोशल मीडिया में डाला, जिसके मुताबिक राकेश शर्मा को सोवियत संघ मुफ्त में अपने साथ ले गया था और शुभांशु शुक्ला को स्पेसएक्स और नासा के सहयोग से 548 करोड़ रुपए में भेजा गया है।

सोचें, क्या बेहूदगी है? यही तबका है, जो रोज इस बात का रोना रोता है कि भारत में रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर खर्च नहीं किया जा रहा है। सरकार को इस बात के लिए कठघरे में खड़ा किया जाता है कि वह आरएंडडी पर खर्च कम कर रही है। दूसरी ओर सरकार खर्च करके अंतरिक्ष में शोध के लिए किसी को भेजती है तो कहा जाता है कि इंदिरा गांधी के समय तो मुफ्त में ही राकेश शर्मा अंतरिक्ष चले गए थे! राकेश शर्मा अंतरिक्ष में गए थे। वे पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बने थे। वे आईएसएस पर जाकर रिसर्च नहीं कर रहे थे। शुभांशु शुक्ला रिसर्च के लिए गए हैं और इसके बाद भारत के मानव अंतरिक्ष मिशन में बड़ी भूमिका निभाने वाले हैं। राकेश शर्मा 41 साल पहले अंतरिक्ष गए थे और तब भारत की स्थिति सैकड़ों करोड़ रुपए खर्च करने की नहीं थी तो सोवियत संघ कृपा करके भारत के एस्ट्रोनॉट को ले गया था। क्या कांग्रेस समर्थक अब भी यही चाहते हैं कि कोई देश कृपा करके हमारे एस्ट्रोनॉट को अंतरिक्ष में घुमा कर ले आए? कांग्रेस की पिछली सरकारों की तारीफ और मौजूदा मोदी सरकार की आलोचना के लिए अनेक और कारण हो सकते हैं। लेकिन यह कोई आलोचना का कारण नहीं है, बल्कि यह गर्व का विषय है।

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