Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

कानूनों का विरोध कब से अपराध?

वक्फ कानून

किसी को पता भी नहीं चला और उत्तर प्रदेश सरकार ने संसद से पास कानून का विरोध करने को अपराध बना दिया! अब कानून का विरोध करने पर नोटिस भेज दिया जा रहा है। हालांकि कई लोगों का कहना है कि यह कानून सिर्फ मुस्लिम समाज के लोगों के लिए है। गौरतलब है कि पिछले दिनों मुस्लिम समाज के लोगों ने वक्फ कानून का विरोध किया। पिछले गुरुवार यानी तीन अप्रैल को संसद से पास हुए इस कानून के खिलाफ शुक्रवार, चार अप्रैल को मुजफ्फरनगर में जुमे की नमाज पढ़ने गए लोगों ने बांह पर काली पट्टी बांध कर इस कानून का विरोध जताया।

सरकार ने ऐसे लोगों की पहचान की और करीब तीन सौ लोगों को नोटिस भेज दिया। कहा गया कि वे थाने पहुंच कर दो लाख रुपए का मुचलका जमा कराएं और दो लोगों को लेकर आएं, जो उनकी जमानत दें। सोचें, काली पट्टी बांध कर या सड़क पर भी उतर कर सरकार के बनाए कानून का विरोध करना अपराध कैसे हो गया?

क्या हिंदू समाज के लोग भी किसी कानून का इस तरह से विरोध करते हैं तो उनको भी नोटिस भेजा जाएगा? इस सवाल के जवाब में एक बात तो यह कही जा रही है कि केंद्र सरकार के कानूनों के खिलाफ किसान सड़क पर उतरे तो कैसे उनको आतंकवादी बताया गया था। दूसरी बात यह कही जा रही है कि हिंदुओं ने केंद्र सरकार के कानून का विरोध करना कब का बंद कर दिया इसलिए कुछ नहीं कहा जा सकता है।

Also Read: माओवादियों व सीपीआई के बुरे दिन

बहरहाल, वक्फ कानून के खिलाफ देश भर में प्रदर्शन हो रहे हैं। लेकिन कहीं भी यह सुनने को नहीं आया कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने वालों को नोटिस जारी किया जाए। लेकिन यह उत्तर प्रदेश में हुआ और माना जा रहा है कि दो साल बाद होने वाले चुनाव तक इस तरह के काम होते रहेंगे, जिनसे यह मैसेज बने कि सरकार  मुसलमानों को टाइट कर रही है। सो, कांवड़ यात्रा के समय दुकानों पर नाम लिखने से लेकर त्योहारों के मौके पर मांस की दुकानें बंद कराने, सड़कों पर नमाज पढ़ने से रोक लगाने और मामूली बातों पर नोटिस झेलने के लिए लोगों को तैयार रहना चाहिए।

यह अलग बात है कि जब ऐसी बातों को लेकर अमेरिका का आयोग धार्मिक असहिष्णुता बढ़ने की रिपोर्ट देगी तो भारत सरकार उसको खारिज कर देगी।

Pic Credit: ANI

Exit mobile version