दो राज्यों में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं। इनमें से झारखंड में दोनों तरफ से मुख्यमंत्री पद के चेहरे लगभग घोषित हैं। अगर जेएमएम और कांग्रेस का गठबंधन जीतता है तो हेमंत सोरेन फिर से मुख्यमंत्री होंगे और अगर भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए जीतता है तो यह लगभग तय है कि बाबूलाल मरांडी मुख्यमंत्री होंगे। लेकिन महाराष्ट्र में ऐसा कुछ भी तय नहीं है। दोनों प्रमुख गठबंधनों ने साफ कर दिया है कि चुनाव नतीजों के बाद नेता का फैसला होगा। रविवार, 10 नवंबर को मुंबई में भाजपा का घोषणापत्र जारी करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अभी एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री हैं लेकिन आगे क्या होगा, इसका फैसला चुनाव नतीजों के बाद गठबंधन यानी महायुति की पार्टियां तय करेंगी।
असल में भाजपा इस बात को लेकर दुविधा में थी। अगर कांग्रेस, उद्धव ठाकरे और शरद पवार के गठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद के दावेदार की घोषणा हो जाती तो मजबूरी में भाजपा को भी कोई चेहरा आगे करना पड़ता। लेकिन विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी ने उसे मौका दे दिया। गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे भाजपा की इस दुविधा को समझ रह थे तभी वे बार बार कह रहे थे कि अघाड़ी को सीएम का चेहरा पेश करके चुनाव लड़ना चाहिए। वे यह भी कह रहे थे कि भले उनका चेहरा नहीं घोषित किया जाए लेकिन कोई चेहरा पेश करके ही लड़ना चाहिए। परंतु कांग्रेस और शरद पवार दोनों ने अपनी राजनीति में उद्धव ठाकरे का चेहरा पेश नहीं होने दिया। उनको पता था कि उद्धव भले कह रहे हैं कि किसी का भी चेहरा घोषित हो लेकिन वे असल मे ऐसा नहीं चाहते हैं। वे चाहते थे कि उनका चेहरा घोषित हो। उनको पता है कि ऐसा होता तभी शिव सैनिकों का एकमुश्त वोट उनकी पार्टी को मिलता।
उधर महायुति में यही चिंता मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की थी कि अगर अघाड़ी ने उद्धव का चेहरा घोषित कर दिया और भाजपा ने उनको चेहरा नहीं बनाया तो उनकी पार्टी को शिव सैनिकों का कोई वोट नहीं मिलेगा। उद्धव का चेहरा नहीं घोषित होने से शिंदे को राहत मिली है। लेकिन उद्धव की चिंता बढ़ी है। असल में महाराष्ट्र में छह पार्टियों के दो गठबंधन आमने सामने लड़ रहे हैं और सभी छह पार्टियों के पास मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं। सभी छह पार्टियां उम्मीद कर रही हैं कि उनको सरकार चलाने का मौका मिल सकता है।
सबको पता है कि इन छह में से कोई भी पार्टी अकेले दम पर बहुमत के आंकड़े यानी 145 सीट के आसपास भी नहीं पहुंच रही है। सिर्फ दो ही पार्टियां, भाजपा और कांग्रेस एक सौ से ज्यादा सीटों पर लड़ रही हैं और अभी तक जो स्थिति दिख रही है उसमें इन दोनों को भी तीन अंक में सीटें नहीं आ रही हैं। इसका मतलब है कि विधानसभा बुरी तरह से बंटी हुई होगी। याद करें कैसे पिछली बार भाजपा और शिव सेना का गठबंधन पूर्ण बहुमत लाने में कामयाब हुआ था लेकिन बाद में शिव सेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बना ली थी। इस बार भी ऐसा कुछ हो तो हैरानी नहीं होगी। अब सभी पार्टियां अपना अपना सीएम बनाने के नाम पर वोट मांग रही हैं। उद्धव ठाकरे दावेदार हैं तो कांग्रेस में नाना पटोले या बाला साहेब थोराट और उधर शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले के नाम की चर्चा है। भाजपा में देवेंद्र फड़नवीस व शिव सेना में एकनाथ शिंदे स्वाभाविक दावेदार हैं। अजित पवार भी कह चुके हैं कि वे उप मुख्यमंत्री बन बन के थक गए हैं अब उनको मुख्यमंत्री बनना है। सो, तय मानिए कि महाराष्ट्र का चुनाव जितना दिलचस्प है उससे ज्यादा चुनाव बाद की राजनीति होगी।