चार राज्यों के चुनावों के घोषणा अगले महीने हो सकती है। चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड की सरकारों के साथ साथ जम्मू कश्मीर प्रशासन को तबादलों और नियुक्तियों के बारे में दिशा निर्देश भेज दिए हैं। इससे लग रहा है कि चुनाव की तैयारी शुरू हो चुकी हैं। आयोग के साथ साथ पार्टियों की भी तैयारियां चल रही हैं। इन तैयारियों में पार्टियों के कामकाज का फर्क दिख रहा है। प्रादेशिक पार्टियों का अपना नेतृत्व चुनाव की तैयारी कर रहा है और राष्ट्रीय पार्टियों में कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व चुनाव की तैयारी कर रहा है। लेकिन भाजपा में प्रदेश नेतृत्व की भूमिका नगण्य कर दी गई है। चारों राज्यों में प्रदेश नेताओं की बजाय सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह चुनाव की रणनीति बना रही हैं। मोदी और शाह के अलावा चारों राज्यों में नियुक्त चुनाव प्रभारी ही रणनीति का काम देख रहे हैं।
भाजपा में चारों राज्यों का प्रदेश नेतृत्व सिर्फ ऊपर से आए निर्देशों पर अमल कर रहा है। अमित शाह चुनाव वाले चार में से तीन राज्यों का दौर कर चुके हैं। नई सरकार के गठन के बाद वे झारखंड, हरियाणा और फिर महाराष्ट्र के दौरे पर गए और चुनावी बिगुल बजा दिया। महाराष्ट्र में उन्होंने उद्धव ठाकरे को औरंगजेब फैन क्लब का सदस्य बताया तो उसके जवाब में उद्धव ने अमित शाह को अहमतद शाह अब्दाली का वंशज बताया है। गौरतलब है कि अब्दाली ने मराठाओं को हराया था। इस तरह महाराष्ट्र में उद्धव बनाम अमित शाह का मामला चल रहा है। बहरहाल, अमित शाह के उलट कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी अभी तक चुनावी राज्यों के दौरे पर नहीं गए हैं। वे उत्तर प्रदेश के हाथरस गए, गुजरात गए, मणिपुर और केरल गए, जहां अलग हादसों से प्रभावित लोगों से मिले। लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद अभी तक चुनावी राज्यों में नहीं गए हैं। बताया जा रहा है कि आलाकमान की हस्तक्षेप अभी कम है और प्रदेश नेतृत्व रणनीति बना रहा है।
दूसरी ओर भाजपा में चुनाव का नैरेटिव अमित शाह बना रहे हैं और उसको आगे बढ़ाने का काम चुनाव प्रभारियों का है। प्रदेश नेतृत्व सिर्फ प्रभारियों के दिशा निर्देशों पर अमल कर रहा है। झारखंड मे ऐसा लग रहा है कि सब कुछ हिमंत बिस्व सरमा के हवाले है। वे मोदी और शाह के निर्देश पर रणनीति और नैरेटिव दोनों बना रहे हैं और जमीन पर भी मेहनत कर रहे हैं। प्रदेश नेतृत्व के पास कुछ ज्यादा करने को नहीं है। इसी तरह हरियाणा में नए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और प्रदेश अध्यक्ष मोहन बडौली के पास कुछ नहीं करने को। सारी रणनीति धर्मेंद्र प्रधान बना रहे हैं और उनका साथ दे रहे हैं त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब देब। बिप्लब देब पहले राज्य के प्रभारी रहे हैं। इसी तरह महाराष्ट्र में देवेंद्र फड़नवीस राज्य की राजनीति से निकलना चाहते थे लेकिन उनको जैसे तैसे रोका गया। अब वे लगभग निष्क्रिय हैं और रणनीति बनाने की जिम्मेदारी भूपेंद्र यादव निभा रहे हैं। ध्यान रहे धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव और हिमंत बस्व सरमा ये तीनों मोदी और शाह के सबसे भरोसेमंद नेता हैं। जम्मू में जी किशन रेड्डी को प्रभारी बनाया गया है लेकिन वहां का काम सीधे अमित शाह ही देख रहे हैं। वैसे भी जम्मू कश्मीर में भाजपा का पुराना नेतृत्व लगभग खत्म ही हो गया है। इन चारों राज्यों में अक्टूबर में चुनाव हो सकता है।