चुनाव आयोग ने जिस तरह की तैयारी शुरू की है उससे लग रहा है कि इस बार चार राज्यों के चुनाव एक साथ होंगे। पिछली बार यानी 2019 में महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड के चुनाव अलग अलग हुए थे। एक एक महीने के अंतराल पर तीनों राज्यों के चुनाव हुए और चुनाव नतीजे भी अलग अलग घोषित हुए। इस बार ऐसा होता नहीं दिख रहा है। इसके बावजूद केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी के एक बयान ने सस्पेंस बढ़ा दिया है। वे जम्मू कश्मीर में भाजपा के चुनाव प्रभारी हैं। उन्होंने पिछले दिनों राज्य का दौरा किया तो कहा कि जम्मू कश्मीर में सितंबर में ही विधानसभा चुनाव होंगे। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को राज्य में चुनाव कराने के लिए 30 सितंबर तक का समय दिया है। लेकिन ऐसा नहीं है कि अगर चुनाव आयोग एक महीने का अतिरिक्त समय मांगे तो उसे नहीं मिलेगा।
सवाल है कि क्या सचमुच जम्मू कश्मीर में सितंबर में ही चुनाव होंगे? यह सवाल इसलिए है क्योंकि अगर सितंबर में चुनाव होना है तो कायदे से अब चुनाव की अधिसूचना जारी हो जानी चाहिए। ध्यान रहे जम्मू कश्मीर के बारे में जो भी दावा किया जाए, हकीकत यह है कि राज्य में सुरक्षा हालात अच्छे नहीं हैं। पिछले दो महीने यानी जून और जुलाई में जितने आतंकवादी हमले हुए हैं वह मिसाल है। चुनाव आयोग को हमेशा इसका अंदाजा होता है तभी जम्मू कश्मीर की चार लोकसभा सीटों के चुनाव चार चरणों में हुए। यानी एक चरण में सिर्फ एक सीट का चुनाव! तभी अगर 93 विधानसभा सीटों पर चुनाव कराना है तो वह भी कम से चार या पांच चरणों में होगा। इसके लिए डेढ़ महीने या उससे कुछ ज्यादा का वक्त चाहिए। इसका मतलब है कि अगर सुप्रीम कोर्ट की ओर से दी गई डेडलाइन के हिसाब से 30 सितंबर तक चुनाव कराना है तो हर हाल में 15 अगस्त तक चुनाव की अधिसचूना जारी हो जानी चाहिए।
दूसरा सवाल यह है कि अगर एक राज्य में सितंबर में चुनाव होता है तो क्या बाकी तीन राज्यों में भी उसके साथ ही चुनाव होगा? गौरतलब है कि महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल तीन नवंबर तक है। यानी वहां अक्टूबर के अंत तक चुनाव प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए। हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल 25 नवंबर और झारखंड विधानसभा का कार्यकाल पांच जनवरी 2025 तक है। चुनाव आयोग चाहे तो इन तीनों राज्यों का चुनाव भी जम्मू कश्मीर के साथ करा सकता है लेकिन अगर सितंबर में वहां चुनाव होना है तो उसके साथ तीन और राज्यों के चुनाव की तैयारी होती अभी नहीं दिख रही है। इस बीच यह चर्चा जोर शोर से शुरू हो गई है कि झारखंड का विधानसभा चुनाव निर्धारित समय पर यानी दिसंबर में होगा। इसका कारण यह बताया जा रहा है कि शिवराज सिंह चौहान और हिमंत बिस्व सरमा के चुनाव प्रभारी बनने और हेमंत सोरेन की जेल से रिहाई के बाद राज्य में हालात बदले हैं और भाजपा की स्थिति सुधरी है। तभी एक संभावना यह जताई जा रही है कि सितंबर में जम्मू कश्मीर का और अक्टूबर में महाराष्ट्र व हरियाणा का चुनाव हो और झारखंड में दिसंबर में मतदान हो। इसमें मुश्किल यह है कि महाराष्ट्र और हरियाणा में भाजपा की स्थिति कमजोर दिख रही है और वह नहीं चाहेगी कि इनके खराब नतीजों का असर झारखंड के चुनाव पर पड़े। तभी चार राज्यों के चुनाव का सस्पेंस गहरा गया है।