तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सौंदर्यराजन ने राज्य की भारत राष्ट्र समिति की सरकार की ओर से विधान परिषद में मनोनयन के लिए भेजे गए नाम वापस लौटा दिए हैं। राज्य की के चंद्रशेखर राव सरकार ने विधान परिषद में मनोनयन के लिए दो नाम भेजे थे। लेकिन राज्यपाल ने दोनों नाम यह कहते हुए लौटा दिया कि राजनीतिक लोगों को राज्यपाल कोटे से मनोनीत नहीं करना चाहिए। इसी तरह का काम एक बार राम नाईक ने उत्तर प्रदेश का राज्यपाल रहते हुए किया था। तब राज्य में अखिलेश यादव की सरकार थी। ऐसा ही काम महाराष्ट्र के पिछले राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने किया था, जब उन्होंने उद्धव ठाकरे सरकार की ओर से भेजे गए 12 नामों की सूची को एक साल से ज्यादा समय तक रोक कर रखा था।
बहरहाल, के चंद्रशेखर राव की सरकार ने डी सरवन और के सत्यनारायणन के नाम भेजे थे लेकिन इन्हें राजनीतिक व्यक्ति बताते हुए राज्यपाल ने इनको मनोनीत करने से मना कर दिया। ध्यान रहे राज्य में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और उससे पहले राज्य सरकार को अपना राजनीतिक समीकरण बैठाने के लिए दो लोगों को एमएलसी बनाना है। लेकिन राज्यपाल सरकार को रोक रही हैं। जिन राज्यों में विधान परिषद है अगर वहां मनोनीत कोटे के पार्षदों की सूची उठा कर देखें तो 90 फीसदी नाम राजनीतिक लोगों के ही होंगे। बिहार, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में भाजपा के कितने ऐसे नेता विधान परिषद के सदस्य हैं, जो विधानसभा का चुनाव हार गए थे या नहीं लड़े थे पर सक्रिय राजनीति में थे। लेकिन विपक्षी पार्टियों के शासन वाले राज्यों में राज्यपाल का दूसरा ही रवैया रहता है।