भारतीय जनता पार्टी ने जिस तरह से तेलंगाना में अपने अभियान को हाइप दी थी उसके मुकाबले अब उसका अभियान ठंड़ा पड़ रहा है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा रविवार को हैदराबाद पहुंचे और उन्होंने राज्य की के चंद्रशेखर राव सरकार पर हमला किया लेकिन कुछ दिन पहले जैसा माहौल था और भाजपा को लेकर जैसा यूफोरिया बना था वह काफी हद तक कम हो गया है। उलटे पार्टी के अंदर आंतरिक मतभेद बहुत बढ़ गया है, जिसे सुलझाने की कोशिश अमित शाह और नड्डा दोनों कर रहे हैं। रविवार को तेलंगाना के दो भाजपा नेता एटेला राजेंदर और के राजगोपाल रेड्डी दिल्ली में थे और उन्होंने शाह व नड्डा से मुलाकात की। इस मुलाकात में बीएल संतोष और तरुण चुघ भी मौजूद थे। दोनों नेताओं ने बताया कि संगठन में बहुत गड़बड़ी है और पार्टी की चुनावी तैयारी बहुत अच्छी नहीं है।
ये दोनों नेता दूसरी पार्टियों से आए हैं। इनमें एटेला राजेंदर पहले केसीआर की पार्टी में थे। उन्होंने इस्तीफा देकर हुजूराबाद सीट पर भाजपा की टिकट पर उपचुनाव लड़ा और जीते थे। ये दोनों जमीनी नेता हैं और मजबूत हैं। इनका कहना है कि पार्टी की चुनावी तैयारी बहुत कमजोर है, जबकि चार-पांच महीने में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। दूसरी ओर कांग्रेस ने यह प्रचार कर दिया है कि अंदरखाने केसीआर और भाजपा में तालमेल हो गया है। पिछले दिनों केसीआर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बेस्ट फ्रेंड बताया तो उसके बाद उनके बेटे केटीआर ने दिल्ली आकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। ध्यान रहे तेलंगाना में पिछली बार भाजपा 117 में से सिर्फ तीन विधानसभा सीट जीती थी लेकिन उसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में 17 में से चार सीट जीत गई। उसके बाद से ही भाजपा तेलंगाना में मेहनत कर रही थी और अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद लगाए थी।