पिछले हफ्ते आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू दिल्ली आए और अपना मांगपत्र उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्र सरकार के अनेक मंत्रियों को सौंपा। उन्होंने लाखों करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स की जानकारी दी और उनके लिए फंड्स मांगे। चूंकि अभी बजट आने वाला है और उसकी तैयारी चल रही है इसलिए उन्होंने बिल्कुल सही समय चुन कर दिल्ली का दौरा किया। इसी मुताबिक तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी भी दिल्ली आए और अनेक केंद्रीय मंत्रियों से मिल कर राज्य के लिए फंड मांगा। उसी समय यह भी तय हुआ कि लौटने के बाद रेवंत रेड्डी आंध्र के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से मिलेंगे और राज्यों के बंटवारे के बाद दोनों राज्यों के बीच जो लंबित मुद्दे हैं उनका समाधान करेंगे।
लेकिन जैसे ही रेवंत रेड्डी की मुलाकातें शुरू हुईं और नायडू से उनके मिलने के कार्यक्रम की सूचना आए, सोशल मीडिया में यह अफवाह फैल गई कि तेलंगाना में खेला होने जा रहा है। कहा जाने लगा कि ऑपरेशन लोटस मोशन में है और जल्दी ही वहां कुछ बड़ा होगा। कोई इसका श्रेय अमित शाह को दे रहा था तो कोई शिवराज सिंह चौहान को दे रहा था क्योंकि रेवंत रेड्डी उनसे भी मिले थे। कोई चंद्रबाबू नायडू को इसका श्रेय दे रहा था। भाजपा का समर्थन करने वाले एक्स हैंडल से दावे के साथ कहा जा रहा था कि जल्दी ही तेलंगाना से अच्छी खबर आने वाली है। 50 विधायकों के साथ रेवंत रेड्डी के भाजपा में शामिल होने के दावे किए जा रहे थे। सोचें, सरकारी कामकाज या शिष्टाचार की मुलाकातों के भी अब कैसे मायने निकाले जा रहे हैं? इससे भाजपा की बेचैनी भी जाहिर होती है।