Saif Ali Khan: भारतीय जनता पार्टी और उसकी सहयोगी पार्टी शिव सेना के नेताओं ने अभिनेता सैफ अली खान के बहाने एक बार फिर बॉलीवुड पर हमला तेज कर दिया है।
ऐसा लग रहा है कि सैफ अली खान के घर में चोरी का प्रयास और उनके ऊपर हुआ हमला सुशांत सिंह राजपूत एपिसोड की वापसी है।(Saif Ali Khan)
जैसे सुशांत सिंह राजपूत की खुदकुशी के समय एक अभियान शुरू हुआ था उसी पुनरावृत्ति होती दिख रही है। यह भी लग रहा है कि बॉलीवुड को बदनाम करना लोकप्रियता हासिल करने का सबसे आसान रास्ता बन गया है।
बरसों से राज्यसभा जाने की आस लगाए गए तुकबंदी करने वाले कवि ने सैफ अली खान और करीना कपूर खान के बेटे तैमूर के नाम को लेकर सार्वजनिक मंच से उलटी सीधी बातें कहीं। यह संयोग है कि उसके कुछ दिन बाद ही सैफ के ऊपर हमला हो गया।
इसके साथ ही मीडिया और सोशल मीडिया में उनके बहाने फिल्म जगत की बदनामी का अभियान शुरू हो गया।(Saif Ali Khan)
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अपने बदतमीजी भरे और सांप्रदायिक बयानों से हिंदू हृदय सम्राट बनने की कोशिश कर रहे शिव सेना के विधायक और महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नीतेश राणे ने सबसे पहले सैफ पर हमला किया।
उन्होंने सैफ को कचरा अभिनेता बताते हुए इस पर सवाल उठाया कि उनके ऊपर सचमुच हमला हुआ भी था या नहीं।
नीतेश राणे को इस बात पर हैरानी थी कि सैफ पांच दिन में ही कैसे ठीक होकर अस्पताल से अपने पैरों पर चलते और हंसते, बोलते घर गए।(Saif Ali Khan)
नीतीश राणे के पिता नारायण राणे भाजपा के सांसद हैं। वे भी तकनीकी रूप से भाजपा के ही नेता हैं लेकिन एडजस्टमेंट के तहत टिकट के लिए एकनाथ शिंदे की पार्टी में गए थे।
उनके बाद भाजपा के नेता संजय निरूपम ने भी रंग दिखाया और उन्होंने भी सैफ पर हुए हमले को लेकर सवाल उठाया।
सवाल यह है कि राज्य में भाजपा और शिव सेना की सरकार है, जिसकी पुलिस मामले की जांच कर रही है। सो, ये नेता क्यों नहीं पुलिस से पूछ लेते हैं कि सचमुच हमला हुआ था या नहीं?(Saif Ali Khan)
सैफ का इलाज मुंबई ही नहीं, बल्कि देश के प्रतिष्ठित अस्पतालों में से एक लीलावती अस्पताल में हुआ। अगर सैफ पर हमला नहीं हुआ तो लीलावती अस्पताल ने किस चीज का इलाज किया?
बॉलीवुड को बदनाम करना है…(Saif Ali Khan)
क्या कोई अस्पताल इस तरह की धोखाधड़ी का हिस्सा बन सकता है? जाहिर है हमले को लेकर कोई संशय नहीं है या उसमें कोई गड़बड़ी नहीं है।
लेकिन भाजपा और शिव सेना के नेताओं को बॉलीवुड को बदनाम करना है तो कोई न कोई बात खोज लेनी है। पहले हमले की रात के घटनाक्रम को लेकर करीना कपूर सहित पूरे परिवार के चरित्र हनन का प्रयास सोशल मीडिया पर शुरू हुआ।
हमले के उलटे सीधे कारण बताए गए। फिर इलाज को लेकर सवाल उठा। फिर बीमे की रकम को लेकर सवाल उठाए गए और अंत में हमले पर ही संदेह खड़ा कर दिया गया।
इसी तरह सुशांत सिंह राजपूत की खुदकुशी को हत्या साबित करने और पूरे फिल्म उद्योग को बदनाम करने का अभियान चला था।(Saif Ali Khan)
उसके कुछ दिन के बाद शाहरूख खाने के बेटे आर्यन की फर्जी मामले में गिरफ्तारी के बाद फिल्म उद्योग को बदनाम करने का अभियान चला।
एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी फिल्म उद्योग को लोगों से मिलते हैं, बातें करते हैं और दूसरी ओर भाजपा और शिव सेना का इकोसिस्टम फिल्म उद्योग को देशद्रोही बनाम देशभक्त में खांचे में बांटने के प्रयास में लगा रहता है।