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एनसीईआरटी की सभी किताबों में कुछ गड़बड़ है

ऐसा लग रहा है कि एनसीईआरटी की सभी किताबों में कुछ न कुछ गड़बड़ है। असम से लेकर राजस्थान तक पार्टियां और नेता गड़बड़ी निकाल कर बता रहे हैं और कांग्रेस पार्टी ने तो हंगामा मचाया ही है। संसद के मानसून सत्र के आखिरी हफ्ते के पहले दिन यानी सोमवार को संसद सत्र में कांग्रेस हंगामा करेगी क्योंकि एनसीईआरटी की किताब में बताया गया है कि भारत के विभाजन के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है। एनसीईआरटी के नए मॉड्यूल में विभाजन के गुनाहगार कौन शीर्षक से एक अध्याय में बताया गया है कि मोहम्मद अली जिन्ना ने विभाजन मांगा, कांग्रेस ने स्वीकार किया और अंग्रेजों ने मंजूरी दी। यानी जिन्ना, कांग्रेस और अंग्रेज भारत के विभाजन के गुनाहगार हैं।

इससे पहले राजस्थान में इस बात को लेकर बड़ा विवाद हुआ कि एनसीईआरटी की किताब में जैलसमेर को मराठा साम्राज्य का हिस्सा बताया गया है। कई पूर्व राजपूत शासकों के साथ साथ बौद्धिकों ने भी इस पर सवाल उठाया और कहा कि जैसलमेर या राजस्थान का कोई भी हिस्सा कभी भी मराठा साम्राज्य का हिस्सा नहीं रहा है। अब इस पर फिर से शोध चल रहा है। इस बीच उधर असम में एनसीईआरटी की किताब में अहोम साम्राज्य को लेकर कई गलत जानकारियां दी गई हैं।

इसी वंश से आने वाले कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने इन पर सवाल उठाया है। किताब में कहा गया है कि अहोम लोग म्यांमार से आए थे, जबकि गोगोई का कहना है कि अहोम लोग चीन के युन्नान प्रांत से आए थे। किताब में अहोम राज में प्रचलित पाइक सिस्टम को जबरन मजदूरी के रूप में दिखाया गया गया है, जबकि यह एक सैन्य व प्रशासनिक सेवा थी। इसी तरह 1663 की घिलाजारिघाट संधि को अहोम राज की हार के तौर पर दिखाया गया है, जबकि इतिहासकारों का कहना है कि वह मुगलों को हराने के लिए की गई एक रणनीति संधि थी। इन गलतियों को ठीक कराने की मांग की गई है। ध्यान रहे अगले साल असम में चुनाव है।

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