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तिरुपति मंदिर का विवाद राजनीतिक या आर्थिक?

आमतौर पर माना जा रहा है कि आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के लड्डू प्रसादम को लेकर जो विवाद चल रहा है वह आस्था का विवाद है। लेकिन आस्था के साथ साथ इसमें राजनीति और आर्थिकी का पहलू भी शामिल है। राज्य के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया कि जगन मोहन रेड्डी की सरकार के समय लड्डू बनाने के लिए जिस घी का इस्तेमाल किय जाता था उसमें मछली का तेल और जानवरों की चर्बी मिली थी। ऐसा दावा एक कंपनी के घी के सैंपल की जांच के बाद किया गया है। हालांकि इसको लेकर एक चर्चा यह भी शुरू हो गया है कि नायडू की सरकार को अगर ऐसा लगा तो वह चुपचाप जांच करा कर असली घी का इस्तेमाल शुरू करा देती। लेकिन उसके राजनीतिक लाभ के लिए इसका इस्तेमाल किया है।

कहा जा रहा है कि आंध्र प्रदेश में हिंदू ध्रुवीकरण के लिए इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। यह अलग बात है कि अभी तुरंत कोई चुनाव नहीं होने वाला है। प्रचार किया जा रहा है कि जगन मोहन रेड्डी ईसाई धर्म को मानते हैं इसलिए उन्होंने हिंदुओं की आस्था भंग करने वाला काम किया है। हालांकि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि जान बूझकर या सरकार की ओर से ऐसा कुछ किया गया है। इस बीच इसके आर्थिक पक्ष को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है। इस घटना का खुलासा होते ही चंद्रबाबू नायडू सरकार ने यह ऐलान कर दिया कि अब तिरुपति मंदिर में नंदिनी ब्रांड का घी इस्तेमाल होगा। नंदिनी ब्रांड घी कर्नाटक मिल्क फेडरेशन द्वारा बनाया जाता है। पिछले साल विधानसभा चुनाव से पहले गुजरात स्थित अमूल ब्रांड ने कर्नाटक में अपने दूध और दही की आपूर्ति का ऐलान किया था। जिस पर बड़ा भारी विवाद हुआ था। कहा जा रहा था कि भाजपा अमूल को स्थापित करके नंदिनी ब्रांड को खत्म करना चाहती है। अब उसी नंदिनी ब्रांड को तिरुपति मंदिर में घी आपूर्ति का पूरा ठेका मिल गया है।

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