कांग्रेस पार्टी के सवर्ण नेता इन दिनों बहुत परेशान हैं। चारों तर जाति गणना की ऐसी बयार चल रही है कि सबको अपनी कुर्सी मुश्किल में दिख रही है। बात सिर्फ कुर्सी की होती तब भी सब्र कर लेते है, सबको यह लग रहा है कि कांग्रेस में अगर इसी तरह ओबीसी की राजनीति आगे बढ़ती है और यह राष्ट्रीय पार्टी राज्यों के क्षत्रपों की पारिवारिक पार्टियों की तरह जाति के एजेंडे पर काम करती है तो उनका भविष्य क्या होगा? अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मुख्यालय से लेकर राज्यों की राजधानियों में भी कांग्रेस के नेता हैरान-परेशान हैं। उनको सबसे ज्यादा चिंता राहुल गांधी की हो रही है।
कांग्रेस के एक प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि राहुल गांधी का बिहेवियर बहुत अनप्रिडेक्टेबल है। वे एक बार कोई मुद्दा पकड़ते हैं तो उसके पीछे पड़ जाते हैं, जैसे अभी जातियों की गणना, सामाजिक न्याय और आरक्षण के पीछे पड़े हैं। हालांकि अभी तुरंत किसी बड़े सांगठनिक बदलाव की संभावना नहीं दिख रही है लेकिन पद पर बैठे सवर्ण नेताओं को चिंता सता रही है। दूसरी ओर विपक्षी पार्टियों खास कर भाजपा का कहना है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ओबीसी राजनीति में घुसे हैं और पार्टी के ज्यादातर प्रदेश अध्यक्ष सवर्ण जातियों के हैं, कांग्रेस कार्य समिति में ज्यादातर नेता अगड़ी जातियों के हैं और महासचिव व प्रभारी महासचिव भी ज्यादातर अगड़ी जातियों के हैं। यह सही है कि कांग्रेस के चार में से तीन मुख्यमंत्री पिछड़ी जाति से आते हैं लेकिन संगठन में अगड़ी जातियों का वर्चस्व है।
अगर प्रदेश कमेटी की बात करें तो हाल ही में उत्तर प्रदेश में दलित प्रदेश अध्यक्ष को हटा कर अगड़ी जाति के नेता अजय राय को अध्यक्ष बनाया गया है। ओडिशा में निरंजन पटनायक और पश्चिम बंगाल में अधीर रंजन चौधरी प्रदेश अध्यक्ष हैं। दोनों अगड़ी जाति से आते हैं। दिल् और पंजाब दोनों जगह जाट सिख अध्यक्ष बनाया गया है, जो अगड़ी जाति में हैं। बिहार में अखिलेश सिंह और झारखंड में राजेश ठाकुर अध्यक्ष हैं। ये दोनों भी अगड़ी जाति से आते हैं। मध्य प्रदेश में कमलनाथ अध्यक्ष और मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं। वे पंजाबी खत्री हैं, जो अगड़ी जाति है। हिमाचल प्रदेश में प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु दोनों ठाकुर हैं। राजस्थान में भी जाट समुदाय के गोविंद सिंह डोटासरा अध्यक्ष हैं। गुजरात में ठाकुर समाज के शक्ति सिंह गोहिल को अध्यक्ष बनाया गया है।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने आदिवासी अध्यक्ष बनाया है और हरियाणा व उत्तराखंड मे दलित प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है। बड़े राज्यों में एक महाराष्ट्र है, जहां पिछड़ी जाति के नाना पटोले प्रदेश अध्यक्ष हैं। बाकी दक्षिण के राज्यों में केरल में ब्राह्मण, कर्नाटक में वोक्कालिगा और तेलंगाना में रेड्डी प्रदेश अध्यक्ष हैं। राहुल गांधी ने जब से ओबीसी राजनीति में अपने को झोंका है, तब से इस विरोधाभास की बड़ी चर्चा हो रही है। तभी कहा जा रहा है कि कुछ राज्यों में जल्दी ही बदलाव किया जा सकता है।