यह लाख टके का सवाल है कि अमेरिका में निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ समारोह में शामिल होने का न्योता भारत के राष्ट्र प्रमुख यानी राष्ट्रपति या शासन प्रमुख यानी प्रधानमंत्री को मिला या सीधे भारत सरकार को औपचारिक रूप से न्योता भेजा गया? इसमें यह सवाल भी है कि कहीं न्योता विदेश मंत्री जयशंकर को तो नहीं मिला? भाजपा के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी ने इस बारे में कई सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि जयशंकर ने अपने लिए न्योता लिया है। उनका कहना है कि ट्रंप ने भारत को न्योता नहीं दिया। गौरतलब है कि ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह के लिए कई देशों के शासनाध्यक्षों को न्योता भेजा गया है। लेकिन भारत को उस तरह से न्योता नहीं आया है। स्वामी का कहना है कि भारत में ‘हेड ऑफ द नेशन’ को नहीं बुलाया गया है।
जाहिर है इन सवालों का जवाब सरकार की ओर से नहीं दिया जाएगा। लेकिन अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका नहीं जा रहे हैं और उन्होंने अपने पहले पॉडकास्ट में 2005 में उनको बतौर मुख्यमंत्री अमेरिकी वीजा नहीं मिलने के मुद्दे पर तीखी टिप्पणी की और कहा कि वह एक निर्वाचित सरकार का अपमान था तो जरूर इसके पीछे कोई कारण है। दूसरी ओर सुब्रमण्यम स्वामी का कहना है कि जयशंकर की पत्नी जापानी हैं और वे अमेरिका में रहती हैं। उनके बच्चे भी अमेरिका में रहते हैं। उन्होंने स्वामी के अमेरिका जाने को अपने घर जाना कहा है और मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ पर सवाल उठाया है। वे कह रहे हैं कि जयशंकर ने अपने लिए न्योता मंगाया। गौरतलब है कि जयशंकर 24 से 29 दिसंबर तक अमेरिका में थे। इस आधार पर स्वामी कह रहे हैं कि जयशंकर को सरकार से बरखास्त करना चाहिए। सोशल मीडिया में स्वामी ने इस मुद्दे पर मोर्चा खोला है और अलग अलग समूहों का समर्थन उनको मिल रहा है। उन्होंने यह सवाल भी उठाया है कि शपथ समारोह में जयशंकर किस कतार में बैठेंगे? क्या वे भारत के अमेरिकी राजदूत के साथ बैठेंगे और क्या उस कतारे में वे अकेले विदेश मंत्री नहीं होंगे? स्वामी का कहना है कि यह भारत माता का अपमान है। इसलिए मोदी को जयशंकर को रोकना चाहिए।