मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने सक्रिय राजनीति में वापसी का संकेत दिया है। उन्होंने कहा है कि वे 2029 का लोकसभा चुनाव लड़ सकती हैं। उन्होंने इस बारे में बहुत विस्तार से बात की है, जिसमें बताया कि कैसे वे अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी की टीम में काम करती थीं और कैसे यह लगने लगा था कि वे इन नेताओं की समकालीन हैं, जबकि वे इन नेताओं से 30 से 40 साल छोटी हैं। उमा भारती अभी 63 साल की हुई हैं और ऐसा लग रहा है कि उनको राष्ट्रीय राजनीति में संभावना दिखने लगी है। यह पोस्ट मोदी पोलिटिक्स की तैयारियों का भी संकेत है। जानकार सूत्रों का कहना है कि उमा भारती को लग रहा है कि वे मोदी से 12 साल छोटी हैं तो मोदी के बाद उनके लिए भी संभावना बन सकती है।
ध्यान रहे उमा भारती एक समय भाजपा के अंदर भविष्य की संभावना के तौर पर देखी जाती थीं। पार्टी ने उनको मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित करके 2003 का मध्य प्रदेश का विधानसभा का चुनाव लड़ा था और जबरदस्त बहुमत से जीत हासिल की थी। हालांकि कर्नाटक के ईदगाह मैदान केस में वारंट जारी होने की वजह से उनको इस्तीफा देना पड़ा था। वे खजुराहो और भोपाल से चुनाव जीती हैं और उत्तर प्रदेश की झांसी सीट से भी लोकसभा सांसद रही हैं। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के लोध वोटों पर उनका बहुत बड़ा असर है। तभी उनके सक्रिय राजनीति में लौटने की चर्चा भाजपा के कई समकालीन नेताओं के लिए चिंता की बात हो सकती है। वे पिछड़ी जाति से आती हैं, हिदुत्व की जो राजनीति आज जमीनी स्तर पर गहरे तक जड़ जमा चुकी है उसकी ओरिजिनल प्रतिनिधि हैं, हिंदी व संस्कृत के साथ साथ धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलती हैं, जो मोदी के बाद नंबर एक होने की होड़ में शामिल दोनों नेताओं की कमजोरी है। तभी उमा भारती की राजनीति पर नजर रखने की जरुरत है।