कांग्रेस पार्टी ने घोसी विधानसभा सीट के उपचुनाव में समाजवादी पार्टी का साथ दिया था। दोनों पार्टियां विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में शामिल हैं। लेकिन दोनों के बीच अभी केमिस्ट्री बहुत अच्छी नहीं दिख रही है। समाजवादी पार्टी के नेता पांच राज्यों के चुनाव में कुछ सीटों पर लड़ना चाहते हैं लेकिन कांग्रेस अभी उसके लिए सीट छोड़ने बात नहीं कर रही है। इस बीच पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बड़े मुस्लिम नेता इमरान मसूद एक बार फिर कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। वे कांग्रेस छोड़ कर गए थे तो सपा और बसपा दोनों घूम लिए और फिर माफी मांग कर कांग्रेस में लौटे हैं। अब उन्होंने कहा है कि कब्र में जाने तक कांग्रेस में ही रहेंगे। उनके कांग्रेस में शामिल होने के बाद कांग्रेस और सपा में दूरी और बढ़ सकती है। समाजवादी पार्टी के नेता इसे अपने लिए चुनौती की तरह देख रहे हैं।
ध्यान रहे इमरान मसूद आखिरी बार 2007 में निर्दलीय विधानसभा का चुनाव जीते थे। उसके बाद से वे चार चुनाव हार चुके हैं। फिर भी सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, कैराना आदि के इलाके में मुस्लिम मतदाताओं के बीच उनका बड़ा असर माना जाता है। तभी उनके कांग्रेस में शामिल होने के बाद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव राय ने कहा कि मुस्लिम सपा के साथ हैं। सपा को यह कहने की जरूरत पड़ रही है इसका मतलब है कि उसको मुस्लिम वोट की चिंता सता रही है। असल में प्रदेश के लगभग सारे बड़े मुस्लिम नेता किसी न किसी वजह से परेशान हैं। आजम खान के ऊपर इतने मुकदमे हैं कि वे उन्हीं से बाहर नहीं आ पा रहे हैं। मुख्तार अंसारी का लगभग पूरा परिवार जेल में है। अतीक अहमद सहित उनके परिवार के ज्यादातर सदस्य मारे जा चुके या फरार हैं।
संभल के सपा सांसद शफीकुर्रहान बर्क की उम्र 93 साल हो गई है। ऐसे में इमरान मसूद जैसे बड़े मुस्लिम नेता का कांग्रेस के साथ जाना सपा के लिए स्वाभाविक रूप से चिंता का विषय है। सपा की चिंता इस वजह से भी बढ़ रही है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को ही भाजपा का मुख्य प्रतिद्वंद्वी माना जा रहा है और कर्नाटक के बाद मुस्लिम मतदाताओं का रूझान एक बार फिर कांग्रेस की ओर बढ़ रहा है।