देश छोड़ कर चले गए भारतीय कारोबारी विजय माल्या का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में आ गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के संसद में दिए एक बयान से इसकी शुरुआत हुई थी। वित्त मंत्री के बयान के बाद माल्या सक्रिय हुए हैं। असल में वित्त मंत्री ने संसद के शीतकालीन सत्र में मंगलवार, 17 दिसंबर को कहा कि विजय माल्या की लगभग 14,131 करोड़ रुपए की संपत्ति सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को वापस कर दी गई है। इसे मील का पत्थर माना जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि मेहुल चौकसी से 2,565 और नीरव मोदी से 1,052 करोड़ रुपए वसूले गए हैं। उनकी संपत्ति बेच कर यह रकम जुटाई गई है। कुल मिला कर वित्त मंत्री ने कहा कि ईडी ने पीड़ितों या सही दावेदारों को 22,280 करोड़ रुपए की संपत्ति लौटा दी है।
संसद में दिए गए वित्त मंत्री के इस बयान के बाद विजय माल्या ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखे एक पोस्ट में कहा- डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल ने किंगफिशर एयरलाइंस का लोन 6,203 रुपए आंका था, जिसमें 12 सौ करोड़ रुपए का ब्याज भी शामिल है। वित्त मंत्री ने संसद में घोषणा की है कि ईडी के माध्यम से बैंकों ने 6,203 करोड़ रुपए की बजाय 14,131 करोड़ रुपए की वसूली की है। और मैं अब भी एक आर्थिक अपराधी हूं।
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माल्या ने आगे कहा- जब तक ईडी और बैंक कानूनी रूप से यह साबित नहीं करते हैं कि उन्होंने लोन के दोगुने से ज्यादा राशि कैसे रिकवर की, मैं राहत का हकदार हूं, जिसके लिए मैं कोशिश करूंगा। विजय माल्या जो बात कह रहे हैं, सरकार और बैंकों को उसका जवाब देना होगा। माल्या का मामला विशुद्ध रूप से एक कारोबार में उनके विफल होने का मामला था, जिसे फ्रॉड और ठगी का मामला बना कर उनको भगोड़ा करार दे दिया गया।
मेहुल चौकसी और नीरव मोदी ने ठगी की थी, जबकि माल्या की विमानन कंपनी फेल हुई थी, जिससे वे कर्ज चुकाने में असमर्थ हो गए थे। फिर भी उनके पास कर्ज की राशि से कई गुना ज्यादा की संपत्ति थी। दूसरी ओर चौकसी और नीरव मोदी के पास उतनी संपत्ति भी नहीं थी। उनके हीरे भी नकली या खराब गुणवत्ता वाले थे और उन्होंने गलत तरीके से बैंक से निकासी की थी।