भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष, भाजपा के सांसद और महिला पहलवानों का यौन शोषण करने के आरोपी बृजभूषण शरण सिंह का नाम कुश्ती संघ की मतदाता सूची से हटा दिया गया है। इसके बाद से यह कहा जा रहा है कि बृजभूषण का युग समाप्त हो गया और भारतीय कुश्ती संघ उनसे मुक्त हो जाएगा। लेकिन क्या सचमुच ऐसा है? ऐसा मानने का आधार इस बात को बनाया जा रहा है कि बृजभूषण शरण सिंह, उनके बेटे करण प्रताप और उनके एक दामाद आदित्य प्रताप को किसी भी राज्य का प्रतिनिधि नहीं बनाया गया है और इसलिए वे इस बार के चुनाव में न वोट डाल पाएंगे और न चुनाव लड़ पाएंगे। ध्यान रहे महिला पहलवानों ने केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से बातचीत में यह शर्त रखी थी कि बृजभूषण के परिवार का कोई व्यक्ति कुश्ती संघ में किसी महत्वपूर्ण पद पर नहीं आना चाहिए।
परिवार के तीन लोगों के बाहर होने यह धारणा बनी है कि अब कुश्ती संघ उनके परिवार से मुक्त हो गया। लेकिन इसका पता सात अगस्त को होने वाले चुनाव में ही चलेगा क्योंकि उनके एक दामाद विशाल सिंह को बिहार कुश्ती संघ के प्रतिनिधि के तौर पर शामिल किया गया है। वे चुनाव लड़ सकते हैं। गौरतलब है कि कुश्ती संघ में बृजभूषण के उत्तराधिकारी के तौर पर उनके बेटे करण या दामाद विशाल का ही नाम लिया जाता था। सो, अगर विशाल लड़ते हैं तो उनकी जीत की संभावना रहेगी।
हालांकि तीन चौंकाने वाले नाम इस बार की मतदाता सूची में आए हैं और अगर उनमें से कोई चुनाव लड़ता है तो चुनाव दिलचस्प हो जाएगा। इसमें एक नाम कॉमनवेल्थ और एशियाई खेलों में पदक जीतने वाली अनिता शेरों का है। हरियाणा की रहने वाली शेरों को ओडिशा से प्रतिनिधि बनाया गया है। इसी तरह देवेंद्र कादियान को असम से और प्रेमचंद लोचब को गुजरात से प्रतिनिधि बनाया गया है। इन तीनों से कुश्ती संघ की राजनीति दिलचस्प हुई है।