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अगर आप लुधियाना में हारी तो क्या होगा?

Delhi Assembly Election

वैसे तो देश के चार राज्यों में पांच विधानसभा सीटों पऱ उपचुनाव हो रहा है लेकिन सबसे रोचक और बड़े राजनीतिक असर वाला चुनाव पंजाब की लुधियाना पश्चिम सीट पर है। आम आदमी पार्टी के विधायक गुरप्रीत बस्सी गोगी के निधन से यह सीट खाली हुई थी। 19 जून को इस सीट पर उपचुनाव है। आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने इस सीट के लिए पंजाब में डेरा डाला हुआ है। उन्होंने अपनी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा को लुधियाना पश्चिम सीट से उम्मीदवार बनाया है। माना जा रहा है कि राज्यसभा सांसद को केजरीवाल ने इसलिए लड़ाया है ताकि उनकी सीट खाली हो तो वे खुद उस सीट पर उच्च सदन में जा सकें। सोचें, केजरीवाल का नेतृत्व कितना कमजोर हो गया है! उन्होंने अभिषेक सिंघवी के लिए स्वाति मालीवाल की सीट खाली करानी चाहिए तो वह भी नहीं करा सके और उलटे मालीवाल ने मुकदमा कर दिया। अब अपने लिए सीट खाली करानी है तो वह भी नहीं करा पा रहे हैं। कारोबारी संजीव अरोड़ा जीत कर मंत्री बनेंगे तभी राज्यसभा सीट खाली करेंगे।

बहरहाल, समस्या एक सीट की नहीं है क्योंकि आम आदमी पार्टी ने पंजाब की 117 विधानसभा सीटों में से 92 पर जीत हासिल की थी। बाद में उसने दो सीटें उपचुनाव में भी जीतीं। इसलिए बहुमत का मामला नहीं है। असली मामला केजरीवाल के सांसद बनने का है। संजीव अरोड़ा सीट खाली करेंगे तभी वे राज्यसभा में जा सकते हैं। सोचें, अगर संजीव अरोड़ा चुनाव नहीं जीतते हैं तो क्या होगा? जानकार सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस पार्टी अपनी जीत सुनिश्चित करने में लगी है। कांग्रेस ने 2012 और 2017 में इस सीट से विधायक रहे और कैप्टेन अमरिंदर सिंह सरकार में मंत्री रहे भारत भूषण आशु को उम्मीदवार बनाया है। उन्होंने पिछले दिनों राहुल गांधी से मुलाकात की थी और यह रिपोर्ट दी थी कि पंजाब में बदलाव की हवा चल रही है और 2027 में कांग्रेस की वापसी होगी। हालांकि वास्तविकता कुछ अलग है। सुखजिंदर रंधावा और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजा अमरिंदर वारिंग के सांसद बनने के बाद खाली हुई दोनों विधानसभा सीटों के उपचुनाव में कांग्रेस हार गई थी। दोनों ने अपनी पत्नियों को टिकट दिलाया था लेकिन उनको जीता नहीं सके।

तभी भारत भूषण आशु के दावे में ज्यादा दम नहीं दिखता है। इसके बावजूद कांग्रेस की जीत की संभावना इसलिए देखी जा रही है क्योंकि अकाली दल और भाजपा दोनों आम आदमी पार्टी को हराने के लिए काम कर सकते हैं। अकाली दल ने परुपकर सिंह घुमन को उम्मीदवार बनाया है। वे आप के पंजाब और सिख वोट में सेंध लगाएंगे। दूसरी ओर भाजपा ने जीवन गुप्ता को उम्मीदवार बनाया है। वे भी कोई मजबूत उम्मीदवार नहीं माने जा रहा हैं। दूसरी ओर आशु कांग्रेस के सबसे बड़े हिंदू चेहरों में से एक हैं। सो, हिंदू वोट उनके साथ एकजुट हो सकता है। भाजपा भी नहीं चाहेगी कि केजरीवाल राज्यसभा में पहुंचे क्योंकि वहां फिर वे सरकार के लिए मुश्किल बढ़ाएंगे। ध्यान रहे राज्यसभा में केजरीवाल की पार्टी के 10 सासंद हैं। अगर आम आदमी पार्टी लुधियाना पश्चिम नहीं जीतती है तो केजरीवाल का नेतृत्व बहुत कमजोर होगा और उसका बड़ा फायदा कांग्रेस को दिल्ली में होगा। दिल्ली में कांग्रेस आप को तोड़ने में लगी है। कहा जा रहा है कि आप विधायकों का एक धड़ा वैसे ही अलग हो सकता है जैसे उसके पार्षदों का एक गुट अलग हुआ है। बाद में वे लोग कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। कांग्रेस के नेता एक साल के अंदर दिल्ली में कांग्रेस के मुख्य विपक्षी दल बनने का दावा कर रहे हैं।

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