पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह न घर के रहे और न घाट के। दो बार में करीब साढ़े नौ साल तक मुख्यमंत्री रहने के बाद जब कांग्रेस आलाकमान ने उनको हटाया तो वे बागी हो गए। उन्होंने कांग्रेस छोड़ कर अलग पार्टी बनाई और बाद में उस पार्टी का भाजपा में विलय कर दिया। फिर लोकसभा चुनाव से पहले उनकी पत्नी परनीत कौर ने भी पार्टी छोड़ दी और भाजपा की टिकट पर पटियाला से चुनाव लड़ा। लेकिन वहां वे बुरी तरह से हारीं। कांग्रेस की टिकट पर 2019 में जीतीं परनीत कौर इस बार तीसरे स्थान पर रहीं। कांग्रेस के धर्मवीर गांधी इस सीट से जीते और अकाली दल का उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहा। पूरे चुनाव प्रचार में कैप्टेन अमरिंदर सिंह नहीं निकले। बताया गया कि उनकी सेहत खराब है।
उनकी दूसरी समस्या यह है कि जाट सिख नेता के तौर पर भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते रवनीत सिंह बिट्टू को आगे बढ़ा दिया। लोकसभा का चुनाव हारने के बाद भी उनको केंद्र सरकार में मंत्री बनाया गया है। तभी सवाल है कि कैप्टेन अमरिंदर सिंह का परिवार अब क्या करेगा? अभी से इस बात की चर्चा शुरू हो गई परनीत कौर और बेटे रणइंदर की फिर से कांग्रेस में वापसी हो सकती है। हालांकि यह बहुत आसान नहीं है। क्योंकि कांग्रेस छोड़ने के बाद जिस तरह से कैप्टेन ने सोनिया और राहुल गांधी को निशाना बनाया था उससे उनकी वापसी के रास्ते में कई अड़चनें दिख रही हैं। हालांकि दोनों परिवारों का इतना पुराना संबंध है कि कोई कुछ नहीं कह सकता है। उनके साथ ही भाजपा में गए सुनील जाखड़ के लिए भी आगे मुश्किलें हैं।