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दोपहिया वाहनों पर टोल की खबर कहां से आई?

कुछ दिन पहले अचानक पूरा देश इस खबर पर चर्चा कर रहा था कि अब नेशनल हाईवे पर दोपहिया वाहनों को भी टोल टैक्स देना होगा। सोशल मीडिया में यह खबर आई और अचानक वायरल हो गई। लोग इस पर रील बनाने लगे। मीम्स बनने लगे। मुख्यधारा के अखबारों और चैनल्स को सोशल मीडिया हैंडल्स से पोस्ट जारी होने लगे और सरकार विरोधी पार्टियां और उनके इकोसिस्टम के लोग सरकार पर हमले करने लगे। यह हमला कई घंटों तक चलता रहा। ऐसा लगा, जैसे सचमुच सरकार ने इसका फैसला कर लिया है और उसके बाद सूत्रों के हवाले से खबर जारी की गई है।

लेकिन चार-पांच घंटे के बाद इस खबर का खंडन आ गया। सरकार की ओर से सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने स्वंय इसका खंडन किया। उन्होंने सोशल मीडिया में पोस्ट डाल कर कहा कि सरकार ने ऐसा कोई फैसला नहीं किया है। अब सवाल है कि ऐसी खबर कहां से आई? क्या सरकार में किसी स्तर पर इसकी चर्चा हुई थी, जहां से खबर लीक हुई? क्योंकि इतने व्यवस्थित तरीके से विपक्ष कोई अफवाह नहीं फैला सकता है। इसी तरह कुछ दिन पहले खबर आई थी कि यूपीआई से होने वाले भुगतान पर सरकार शुल्क लगाएगी। संभावित शुल्क  का ढांचा भी जारी कर दिया गया था। यह खबर भी कई घंटे तक चलती रही और उसके बाद सरकार की ओर से इसका भी खंडन किया गया। इस तरह की खबरें चलना और उसके बाद उनका खंडन आना संदेह पैदा करता है कि कहीं सरकार कोई प्रयोग तो नहीं कर रही है? ध्यान रहे अगर विपक्ष या उसके इकोसिस्टम के लोग सरकार को बदनाम कराने वाली इस तरह की अफवाहें फैला रहे होते तो सरकार की ओर से निश्चित रूप से इसका संज्ञान लिया जाता और इस पर कोई न कोई कार्रवाई होती। लेकिन दोनों मामलों में कोई भी कार्रवाई होने की खबर नहीं है।

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