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कौन कौन पार्टी सरकार के साथ जाएगी?

अब इस बात पर माथापच्ची चल रही है कि सत्तापक्ष यानी एनडीए और विपक्ष यानी ‘इंडिया’ ब्लॉक दोनों के गठबंधन से बाहर की कौन कौन सी पार्टी उप राष्ट्रपति चुनाव में किसके साथ जाएगी। विपक्षी पार्टियां जिस समय उम्मीदवार तय करने की कसरत में लगी थीं उसी समय भाजपा ने समर्थन जुटाना शुरू कर दिया था। तमिलनाडु में प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रहे और महाराष्ट्र के मौजूदा राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के नाम का ऐलान करने से पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से बात की थी। उन्होंने स्टालिन से कहा था कि एनडीए तमिलनाडु के नेता को उम्मीदवार बनाएगा इसलिए स्टालिन को उसका समर्थन करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि चुनाव निर्विरोध हो। हालांकि स्टालिन ने इस पर कोई वादा नहीं किया। लेकिन इससे लग रहा है कि भाजपा कितने पहले से तैयारी कर रही थी।

अब सबकी नजर उन पार्टियों पर है जो तटस्थ हैं यानी किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं। ध्यान रहे सत्तापक्ष के पास जरूरी बहुमत से काफी ज्यादा वोट हैं। इसलिए अपने उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन की जीत सुनिश्चित करना उनका लक्ष्य नही हैं। भाजपा का लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा वोट हासिल करने का है। उनके उम्मीदवार को 70 फीसदी या उससे ज्यादा वोट मिले इसका प्रयास है। इसके लिए आंध्र प्रदेश की विपक्षी पार्टी वाईएसआर कांग्रेस के नेता जगन मोहन रेड्डी से बात हुई है। बताया जा रहा है कि जगन अपने सांसदों का समर्थन भाजपा को दे सकते हैं। ध्यान रहे जगन का सद्भाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ है और ऊपर से दक्षिण भारत का उम्मीदवार होने से उनको ज्यादा समस्या नहीं हुई। उनके पास लोकसभा में चार और राज्यसभा में छह सांसद हैं।

इसी तरह दक्षिण भारत की एक और पार्टी भारत राष्ट्र समिति के समर्थन पर भाजपा की नजर है। हालांकि तेलंगाना में बीआरएस ने कांग्रेस और भाजपा दोनों से समान दूरी बनाए रखी है लेकिन कहा जा रहा है कि चंद्रशेखर राव भाजपा उम्मीदवार का समर्थन कर सकते हैं। लोकसभा में उनके पास कोई सांसद नहीं है लेकिन राज्यसभा में उनके चार सांसद हैं। बीजू जनता दल के फैसले पर भी सबकी नजर रहेगी। ओडिशा में पहली बार भाजपा ने बीजू जनता दल को हरा कर सत्ता हासिल की है। पिछले साल के विधानसभा चुनाव से पहले बीजद नेता नवीन पटनायक केंद्र में मुद्दों के आधार पर भाजपा का समर्थन करते रहे हैं। लेकिन अब दोनों आपस में लड़ रहे हैं। लोकसभा में उनका कोई सांसद नहीं है लेकिन राज्यसभा में उनके सात सांसद हैं।

विपक्षी खेमा भी बिखरा हुआ है। ममता बनर्जी किसी पार्टी से तालमेल नहीं कर रही हैं। आम आदमी पार्टी ने ‘इंडिया’ ब्लॉक से अलग होने का ऐलान कर दिया है। हालांकि दोनों पार्टियां मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर के फैसले के खिलाफ एक साथ आंदोलन कर रही हैं। उप राष्ट्रपति के चुनाव में ममता को लेकर कोई संशय नहीं था। वे भाजपा के साथ नहीं जा सकती हैं। लेकिन अब कहा जा रहा है कि एसआईआर की तरह आम आदमी पार्टी उप राष्ट्रपति के चुनाव में भी विपक्ष के साथ रहेगी। विपक्ष के साझा उम्मीदवार को उसका समर्थन मिलेगा। उसके पास लोकसभा में दो और राज्यसभा में नौ सांसद हैं।

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