लोकसभा चुनाव 2024 के सातवें और आखिरी चरण के मतदान से पहले चुनावी ड्यूटी में तैनात कोई दो दर्जन सुरक्षाकर्मियों और मतदानकर्मियों की मौत की खबर है। भीषण गर्मी की वजह से उत्तर प्रदेश और बिहार में मौतें हुई हैं। इसे लेकर अलग अलग रिपोर्ट हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक चुनावी ड्यूटी पर तैनात होमगार्ड और अन्य मतदानकर्मियों में से 16 लोगों की मौत हुई है, जबकि एक दूसरी रिपोर्ट 25 लोगों के मौत की है। सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में मौत हुई है। सातवें और आखिरी चरण का मतदान एक जून को हुआ लेकिन उससे दो दिन पहले ही मतदानकर्मियों का दल निर्धारित जगह पर पहुंचने लगा था इसी दौरान भीषण गर्मी और लू की वजह से लोगों की मौत हुई।
सोचें, इन मौतों के लिए कौन जिम्मेदार है? यह भी एक सवाल है क्या चुनाव ड्यूटी में लगे जिन लोगों की मौत हुई है उनको लाइन ऑफ ड्यूटी में जान गंवाने के लिए कोई अतिरिक्त मुआवजा मिलेगा? चुनाव आयोग को इस बारे में निश्चित रूप से सोचना चाहिए। उसे पता है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से गर्मी का मौसम ज्यादा गर्म होता जा रहा है। हर साल हीटवेव के दिन दोगुने हो रहे हैं। ऐसे में जून तक चुनाव को खींचना कहां की समझदारी है? चुनाव आयोग ने अगर जरा सी भी संवेदनशीलता दिखाई होती तो चुनाव की प्रक्रिया दो तीन हफ्ते पहले ही समाप्त हो जाती। लेकिन उसने सात चरण में मतदान कराया और हर चरण में औसतन एक एक हफ्ते का अंतर रखा। इसी तरह 2021 में कोरोना की सर्वाधिक घातक दूसरी लहर के समय पश्चिम बंगाल में चुनाव चलते रहे थे और जल्दी चुनाव समाप्त करने की अपील पर चुनाव आयोग ने ध्यान नहीं दिया था।