उत्तर प्रदेश के दिग्गज नेता और दशकों तक समाजवादी पार्टी के मुस्लिम चेहरा रहे आजम खान ने तेवर दिखाए हैं। उन्होंने जेल से एक खुली चिट्टी लिख कर विपक्षी पार्टियों को कठघऱे में खड़ा किया है। आजम खान ने लिखा है कि समाजवादी पार्टी और दूसरी विपक्षी पार्टियों ने रामपुर की अनदेखी की है। जिस तरह से उन्होंने संभल का मुद्दा उठाया उस तरह से रामपुर का मुद्दा नहीं उठाया गया। आजम खान का कहना है कि उनके खिलाफ चल रही राजनीति की सजा रामपुर के लोगों को दी जा रही है। लेकिन ऐसा लग रहा है कि रामपुर का मामला एक बहाना है। वे अपने और परिवार की ओर ध्यान खींचना चाहते हैं। Azam Khan Chandrashekhar Azad
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असल में पिछले कुछ समय से समाजवादी पार्टी ने उनकी ओर खास ध्यान नहीं दिया। अखिलेश यादव और उनकी पार्टी को लग रहा है कि अब मुस्लिम वोट लेने के लिए किसी मुस्लिम चेहरे की जरुरत नहीं है। सपा अब भाजपा विरोधी एकमात्र ताकत के तौर पर स्थापित है तो भाजपा विरोधी वोट अपने आप उसे मिलेगा। इस सोच में अगर सपा आजम खान की अनदेखी करती है तो उनके सामने चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी के साथ जाने का विकल्प है। वे बसपा के साथ नहीं जाएंगे क्योंकि उसकी अब खास हैसियत नहीं बची है।
दलितों का रूझान आजाद समाज पार्टी की ओर है। ऊपर से चंद्रशेखर आजाद हमेशा आजम खान और उनके परिवार का ध्यान रखते हैं और उनसे मिलते रहते हैं। वे अपने दलित आधार के साथ मुस्लिम जोड़ना चाहते हैं। इस काम में आजम खान उनकी मदद कर सकते हैं। ऐसा हुआ तो यह सपा के लिए बड़ा झटका होगा।