प्रशांत किशोर ने चर्चा करा दी है। वे शनिवार को राघोपुर गए। उन्होंने कहा कि यह एक विशेष क्षेत्र है क्योंकि यहां से मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री जीतते रहे हैं। ध्यान रहे लालू प्रसाद वहां से विधायक रहे, राबड़ी देवी भी रहीं और तेजस्वी यादव अभी वही से विधायक हैं। प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि अगर वे लड़े तो अमेठी का इतिहास दोहराया जाएगा। उनका दावा है कि उनके लड़ने की चर्चा मात्र से तेजस्वी दूसरी सीट खोजने लगे हैं। हालांकि इतना सब कहने के बावजूद उन्होंने यह नहीं ऐलान किया कि वे राघोपुर सीट से लड़ेंगे। वे पहले कह चुके हैं कि अगर लड़ना हुआ तो जन्मभूमि यानी करगहर से या कर्मभूमि यानी राघोपुर से लड़ेंगे। करगहर में उन्होंने भोजपुरी गायक रितेश पांडेय को उम्मीदवार बनाया है।
सो, अब राघोपुर की सीट बचती है। लेकिन उनके नजदीकी लोगों का कहना है कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे। अगर वे राघोपुर जैसी सीट पर लड़ेंगे तो उनको ज्यादा समय वहां देना होगा और तब वे बाकी उम्मीदवारों को नहीं लड़ा पाएंगे। अभी न तो उनका संगठन राजद जैसा हुआ है और न राजद जैसे नेता उनके पास है। उनको हर उम्मीदवार के लिए से कम एक सभा करानी होगी। ऊपर से वे अब भी कह रहे हैं कि वे हेलीकॉप्टर से नहीं उड़ेंगे। तब और मुश्किल होगी। इसलिए ज्यादा संभावना है कि वे चुनाव नहीं लड़ें। लेकिन अगर लड़ेंगे तो राघोपुर का चुनाव बहुत दिलचस्प हो जाएगा। फिर तेजस्वी की लड़ाई फंसेगी। लेकिन प्रशांत किशोर को लेकर यह धारणा बनेगी कि वे राजद को हराने के लिए भाजपा की बी टीम की तरह लड़ रहे हैं। अगर ने तेजस्वी के खिलाफ लड़ते हैं तो उनको भाजपा के भी किसी बड़े नेता के खिलाफ लड़ना चाहिए।