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महिला सांसदों की संख्या 181 ही क्यों होगी?

महिला सांसदों की संख्या 181 ही क्यों होगी?

लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश करते हुए केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने पहले तो बताया कि लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण मिलेगा। लेकिन बाद में उन्होंने संख्या भी बताई। मेघवाल ने कहा कि आज लोकसभा में महिलाओं की संख्या 80 के करीब है, जो बढ़ कर 181 हो जाएगी। अब सवाल है कि अगर महिला आरक्षण परिसीमन के बाद लागू होना है तो फिर महिला सांसदों की संख्या 181 ही क्यों होगी? क्या परिसीमन के बाद लोकसभा की सीटें नहीं बढ़ेंगी? अगर बढ़ेंगी तो उस अनुपात में क्या महिलाओं की संख्या भी नहीं बढ़ेगी? तभी सवाल है कि मेघवाल ने क्या बड़ी संख्या बताने के लिए 181 का अंक बताया या कोई और बात है?

ध्यान रहे अगर महिला आरक्षण बिल अभी पास हो जाए और लागू हो जाए तब लोकसभा में महिला सांसदों की न्यूनतम संख्या 181 हो जाएगी। लेकिन मेघवाल को तो पता होगा कि वे जो बिल पेश कर रहे हैं उसमें एक नया क्लॉज जोड़ा गया है, जिसके मुताबिक जनगणना होने और उसके आधार पर परिसीमन होने के बाद ही महिला आरक्षण लागू होगा। फिर भी उन्होंने कहा कि महिला सांसदों की संख्या 181 हो जाएगी। वैसे पुराना बिल, जिसको लेकर मंगलवार को संसद में विवाद भी हुआ उसमें परिसीमन का क्लॉज नहीं है और न जनगणना का जिक्र है। ध्यान रहे वह बिल नौ मार्च 2010 को पास हुआ था और उस समय तक 2011 की जनगणना का काम शुरू हो गया था। फिर भी कांग्रेस की सरकार ने जनगणना से इस बिल को परे रखा और ऐसे प्रावधान किए कि तुरंत इसे लागू किया जा सके। अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते तो उसी बिल को फिर से पेश करके पास करा लिया जाता है और दो महीने बाद पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी इसे लागू कर दिया जाता। लेकिन लगता नहीं है कि सरकार की मंशा इसे लागू करने की है।

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