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हिंदू मन कैसा भी हो, वह नरेंद्र मोदी के अयोध्या के फोटो शूट को कभी नहीं भुला पाएगा। उनके भाग्य में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का भूमि पूजन था
Description
हिंदू मन कैसा भी हो, वह नरेंद्र मोदी के अयोध्या के फोटो शूट को कभी नहीं भुला पाएगा। उनके भाग्य में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का भूमि पूजन था, इसे शायद रामजी ने भी नहीं सोचा होगा। अब नरेंद्र मोदी भाग्य लिखा कर लाए हैं तो लाए हैं! किसी की किस्मत से कोई नहीं लड़ सकता है फिर भले वह कितना ही महाबली हो।.. कल्पना नहीं थी कि नरेंद्र मोदी के हाथों, बतौर भारत के प्रधानमंत्री, मंदिर निर्माण का भूमि पूजन होगा। इसे क्या कहें? कैसी है हिंदुओं के भगवान, रामजी की लीला?…
..सन् 2016 में नोटबंदी वह पहला क्षण था जब नरेंद्र मोदी भारत के घर-घर विचारणीय हुए तो 22 मार्च 2020 की रात भी भारत के घर-घर में ताली-थाली से मोदी मौजूद थे।…भारत में आज नरेंद्र मोदी की सर्वज्ञता के अलावा और है ही क्या? संसद, कैबिनेट, पार्टी, आरएसएस, हिंदू धर्म-मंदिर राजनीति सबका अकेले गोवर्धन पर्वत उठाए नरेंद्र मोदी ने सन् 2020 में इंच भर भी किसी दूसरे की, बुद्धि, राजनीति,ज्ञान-विज्ञान, मेहनत की गुंजाइश नहीं रखी।
…नब्बे करोड़ प्रजा यदि तीन-हजार रुपए की राहत, छह किलो राशन की पोटली, दो हजार रुपए की भीख में अपने आपको धन्य, स्वाभिमानी समझे तो न देश का कुछ हो सकता है और न नस्ल, धर्म का! और पता है मोदी राजा ने इस दानवीरता, करूणा में भी क्या गोलमाल, क्या जुगाड़ बनाया हुआ है? इधर राशन की पोटली, दो हजार रुपए की भीख ले कर गरीब या किसान बस, टेंपो, ट्रेन, टैक्टर ट्रॉली में बैठेगा तो डीजल, पेट्रोल, ईंधन, बिजली में टैक्स की लूट से वह प्राप्त भीख चुपचाप वापिस धीरे-धीरे खजाने में लौटती हुई!
हकीकत है दुनिया के हर सभ्य देश में महामारी काल में टैक्स घटे हैं, सरकारों ने पेट्रोल-डीजल-गैस सब सस्ते रखे हुए हैं लेकिन भारत दुनिया का अकेला वह देश है, जो पेट्रोल-डीजल-बिजली-भाड़े सबसे किसान की खेती को भी मुश्किल बनाए हुए है तो गरीब का आना-जाना भी महंगा बनवाए हुए है।
क्या मैं गलत लिख रहा हूं? तो बड़े दिन पर राजा मोदी की दरियादिली का निचोड़ क्या? पता नहीं! पहले तो देखना/पढ़ना होगा इतिहास में कि कभी ऐसा हिंदू राजा पहले हुआ जिसने आपदा के अवसर में क्या-क्या कर डाला! नगर सेठ अंबानी के कोठार में कोई 1,90,438 करोड रू की पूंजी-सौदों-धन-संपदा की आई सुनामी तो 90 करोड भिखारी प्रजा को प्रति व्यक्ति साढ़े तीन हजार रू वाली राशन पोटली व नकदी की खैरात! भला ऐसा प्रजापालक राजा पहले कब हुआ? पता नहीं! अपना फिर वहीं लब्बोलुआब कि हिंदुओं को राज करना नहीं आता और ‘डेड ब्रेन’ वाली नस्ल आंख-नाक-कान बंद किए न दुनिया देख-समझ पाती है और न ही सत्य बूझ पाती है! यह सन् 2020 का भी निचोड़ है!..
भारत की हिंदी पत्रकारिता में मौलिक चिंतन, बेबाक-बेधड़क लेखन का इकलौता सशक्त नाम। मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक-बहुप्रयोगी पत्रकार और संपादक। सन् 1977 से अब तक के पत्रकारीय सफर के सर्वाधिक अनुभवी और लगातार लिखने वाले संपादक। ‘जनसत्ता’ में लेखन के साथ राजनीति की अंतरकथा, खुलासे वाले ‘गपशप’ कॉलम को 1983 में लिखना शुरू किया तो ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ में लगातार कोई चालीस साल से चला आ रहा कॉलम लेखन। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम शुरू किया तो सप्ताह में पांच दिन के सिलसिले में कोई नौ साल चला! प्रोग्राम की लोकप्रियता-तटस्थ प्रतिष्ठा थी जो 2014 में चुनाव प्रचार के प्रारंभ में नरेंद्र मोदी का सर्वप्रथम इंटरव्यू सेंट्रल हॉल प्रोग्राम में था।
आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों को बारीकी-बेबाकी से कवर करते हुए हर सरकार के सच्चाई से खुलासे में हरिशंकर व्यास ने नियंताओं-सत्तावानों के इंटरव्यू, विश्लेषण और विचार लेखन के अलावा राष्ट्र, समाज, धर्म, आर्थिकी, यात्रा संस्मरण, कला, फिल्म, संगीत आदि पर जो लिखा है उनके संकलन में कई पुस्तकें जल्द प्रकाश्य।
संवाद परिक्रमा फीचर एजेंसी, ‘जनसत्ता’, ‘कंप्यूटर संचार सूचना’, ‘राजनीति संवाद परिक्रमा’, ‘नया इंडिया’ समाचार पत्र-पत्रिकाओं में नींव से निर्माण में अहम भूमिका व लेखन-संपादन का चालीस साला कर्मयोग। इलेक्ट्रोनिक मीडिया में नब्बे के दशक की एटीएन, दूरदर्शन चैनलों पर ‘कारोबारनामा’, ढेरों डॉक्यूमेंटरी के बाद इंटरनेट पर हिंदी को स्थापित करने के लिए नब्बे के दशक में भारतीय भाषाओं के बहुभाषी ‘नेटजॉल.काम’ पोर्टल की परिकल्पना और लांच।
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