अप्रैल-मई में पश्चिम बंगाल और असम दोनों राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। वैसे तो चुनाव और भी तीन राज्यों में हैं पर वहां भाजपा को कोई बड़ी उम्मीद नहीं है। पर असम में उसे अपनी सरकार बचानी है और पश्चिम बंगाल में सत्ता हासिल करने का चमत्कार करना है। तभी इन दोनों राज्यों पर उसका बहुत फोकस है। हर राज्य के चुनाव की तरह इन दोनों राज्यों में भी भाजपा ने चुनाव से पहले तोड़-फोड़ शुरू कर दी है। दूसरी पार्टियों के विधायक तोड़ कर भाजपा में शामिल कराए जा रहे हैं। पर इससे पार्टी में कलह भी शुरू हो गई है। बंगाल में कई बड़े स्थानीय नेताओं ने तृणमूल कांग्रेस से विधायक और दूसरे नेताओं को लाने का विरोध किया है। लेकिन पार्टी के केंद्रीय नेताओं को इससे फर्क नहीं पड़ रहा है।
इस बीच उधर असम में पार्टी में कलह बढ़ गई है। भाजपा ने कांग्रेस के दो विधायकों- अजंता नियोग और राजदीप ग्वाला को पार्टी में शामिल कराया है। माना जा रहा है कि पार्टी इन दोनों विधायकों को टिकट देगी। पर इनकी सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे भाजपा नेताओं ने इनका विरोध किया है। स्थानीय स्तर पर पार्टी नेताओं के बीच बढ़ती नाराजगी को देख कर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रंजीत कुमार दास ने खुली अपील की है कि दूसरी पार्टियों के विधायक उनकी पार्टी में न आएं क्योंकि वे सबको टिकट नहीं दे सकते हैं। हालांकि यह दूसरी पार्टियों पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने का दांव भी है पर यह हकीकत भी है कि बाहरी नेताओं के आने से भाजपा के अपने नेता परेशान हैं।