तृणमूल कांग्रेस के अंदर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व के लिए कोई चुनौती नहीं है लेकिन उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी को पार्टी का नेता बनने के लिए अपने को साबित करना होगा। उनके खिलाफ पार्टी में नाराजगी के सुर उठने लगे हैं। कोरोना को लेकर पार्टी और राज्य सरकार की नीतियों के उलट चलने का आरोप भी उन पर लगा है। अभी तक तो सिर्फ पार्टी के एक सांसद कल्याण बनर्जी ने आवाज उठाई है लेकिन आने वाले दिनों में यह आवाज मुखर हो सकती है। कल्याण बनर्जी ने कहा है कि अभिषेक को तभी नेता माना जाएगा, जब उनकी कमान में पार्टी त्रिपुरा और गोवा में विधानसभा का चुनाव जीते। त्रिपुरा में अगले साल चुनाव हैं लेकिन गोवा के नतीजे तो दो महीने में आ जाएंगे। Abhishek banerjee Tripura Goa
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अगर गोवा में पार्टी खाता नहीं खोल पाती है या एक-दो सीट से ज्यादा नहीं जीत पाती है तो अभिषेक के खिलाफ आवाज मुखर होगी। इस बात को अभिषेक और उनकी टीम भी समझ रही है तभी ममता बनर्जी के दूसरे भतीजे आकाश बनर्जी को आगे किया गया है। उन्होंने कल्याण बनर्जी के खिलाफ मोर्चा खोला है और श्रीरामपुर से कल्याण बनर्जी की जगह नए सांसद की जरूरत बताई है। लेकिन सिर्फ इतने भर से अभिषेक का काम नहीं चलेगा। उनको चुनाव जीत कर दिखाना होगा।
त्रिपुरा, गोवा जीते तभी अभिषेक नेता होंगे
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