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पंजाब पुलिस की विफलता का विज्ञापन

ऐसा लग रहा है कि पंजाब की पुलिस हर दिन अपनी विफलता का विज्ञापन कर रही है और खालिस्तान समर्थक कट्टरपंथी उपदेशक अमृतपाल को हीरो बना रही है। हर दिन पुलिस के हवाले या पुलिस सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि अमृतपाल कैसे कैसे भागा, कहां कहां गया और क्या क्या लुक अपनाए। इससे उसकी किवंदती बन रही है। पंजाब के नौजवानों में उसके प्रति कौतुक बन रहा है और इंटरनेट पर उसके बारे में जानकारी चाहने वालों की संख्या बढ़ रही है। उसकी कहानियों का प्रचार खुद पुलिस के सूत्रों के हवाले से हो रहा है और मीडिया भी इसमें बढ़ चढ़ कर भूमिका निभा रहा है।

पंजाब पुलिस ने 18 मार्च को अमृतपाल को पकड़ने का अभियान शुरू किया था। उसके 10 दिन बाद तक वह पुलिस के हाथ नहीं आया है। पुलिस ने पहले उसके सात अलग अलग लुक के फोटो जारी करके उसको हीरो बनाया। उसके बाद यह कहानी है कि कैसे वह मर्सिडीज छोड़ कर भागा, फिर ब्रेजा कार से भागा और ब्रेजा छोड़ कर मोटरसाइकिल से भागा। इसके झूठे सच्चे सीसीटीवी फुटेज भी आए। फिर एक गुरुद्वारे में उसने ग्रंथी के परिवार को बंधक बनाया और कृपाण वहां छोड़ कर भागा। एक दिन खबर आई कि वह हरियाणा के कुरुक्षेत्र पहुंच गया, जहां दो दिन रहा। इस मामले में कुछ लोग पकड़े गए। फिर एक सीसीटीवी फुटेज आई कि वह पटियाला में देखा गया। उसके लिए बीएसएफ और एसएसबी को अलर्ट किया गया। उसके उत्तराखंड, नेपाल जाने और महाराष्ट्र पहुंचने तक की कहानियां प्रचारित हुई। इनका कुल जमा नतीजा यह है कि पंजाब पुलिस तमाशा बन गई है और अमृतपाल हीरो!

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