तो क्या यह माना जाए कि भारत ने अपनी इस पोजिशन से समझौता कर लिया कि भारत और पाकिस्तान का मसला दोनों देशों का आपसी मसला है और कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है, जिसमें किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की जरूरत नहीं है? कई अलग अलग स्रोत से मिल रही जानकारी से ऐसा लग रह है कि संयुक्त अरब अमीरात यानी यूएई भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता कर रहा है। यूएई की जैसे रिश्ते अमेरिका के साथ हैं उसे देखते हुए यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि अमेरिका की सहमति से यह मध्यस्थता शुरू हुई है। हालांकि अमेरिका ने इस पर चुप्पी साधी हुई है और भारत की ओर से हमेशा की तरह कोई बयान नहीं दिया जा रहा है। बयान दिया भी जाएगा तो इस बात की संभावना कम है कि भारत सरकार स्वीकार करेगी कि कोई तीसरा देश मध्यस्थता कर रहा है।
लेकिन अब इसमें संदेह की गुंजाइश बहुत कम रह गई है। अब पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा है संयुक्त अरब अमीरात ने भारत और पाकिस्तान के बीच वार्ता कराई है। उन्होंने यह भी कहा कि दुबई में दोनों देशों के बीच वार्ता हुई और आगे की भी वार्ता वहीं होगी। यह संयोग है कि कुरैशी शनिवार को तीन दिन के दौरे पर रियाद गए थे और रविवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर भी रियाद पहुंचे। हालांकि कहा जा रहा है कि दोनों के बीच कोई मुलाकात नहीं हुई है। कुरैशी ने बहुत साफ अंदाज में कहा कि पाकिस्तान हमेशा चाहता था कि भारत-पाकिस्तान के बीच कोई तीसरा पक्ष मध्यस्थता करे। सोचें, पाकिस्तान जो चाहता था वह हो गया, लेकिन भारत हमेशा कहता था कि तीसरे पक्ष की मध्यस्थता उसे कबूल नहीं है तो पता नहीं किस मजबूरी में उसे तीसरे पक्ष की मध्यस्थता कबूल करनी पड़ी है।
कुरैशी से पहले अमेरिका में संयुक्त अरब अमीरात के राजदूत अल यूसुफ ओटायबा ने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में अफगानिस्तान के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में भारत-पाकिस्तान का मसला उठाया और कहा कि उनका देश भार-पाक के बीच शांति बहाली के लिए मध्यस्थता कर रहा है। ध्यान रहे कुछ दिन पहले ही दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच वार्ता हुई और संघर्षविराम की शर्तों के पालन पर सहमति बनी। अब पाकिस्तानी खिलाड़ियों को क्रिकेट मुकाबले के लिए भारत का वीजा भी मिलने वाला है।