प्रशांत किशोर ने देश की कई पार्टियों के साथ काम किया है। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के साथ काम की शुरुआत की थी। उसके बाद से वे लगातार भाजपा विरोधी पार्टियों के साथ काम कर रहे हैं। अभी उनकी बातचीत कांग्रेस के साथ चल रही है और अगर वे कांग्रेस में शामिल होते हैं और 2024 में कांग्रेस को चुनाव लड़वाने की जिम्मेदारी उठाते हैं तो सबसे पहला सवाल यह होगा कि क्या उन्होंने जितनी विपक्षी पार्टियों के साथ काम किया है वे सब उनके साथ आएंगे? क्या वे सभी विपक्षी पार्टियों को एकजुट करके साझा मोर्चा बनवा पाएंगे?
यह सवाल इसलिए है कि उनके कम से कम दो क्लायंट और एक संभावित क्लायंट के साथ कांग्रेस की बिल्कुल नहीं बन रही है और इन तीनों को साथ लाना बहुत मुश्किल काम होगा। हालांकि तृणमूल कांग्रेस ने पिछले दिनों सांप्रदायिक हिंसा के विरोध में विपक्ष के साझा बयान पर दस्तखत किया लेकिन अरविंद केजरीवाल और के चंद्रशेखर राव दोनों इससे दूर रहे। ध्यान रहे तृणमूल कांग्रेस के साथ प्रशांत किशोर की कंपनी आई-पैक का 2026 तक करार है। उन्होंने दिल्ली में केजरीवाल की पार्टी के लिए भी काम किया और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए तेलंगाना राष्ट्र समिति के लिए काम करने की बातचीत हुई है। तभी टीआरएस और कांग्रेस के एलायंस की बात भी चली, जिसका कांग्रेस के प्रभारी मणिकम टैगोर ने खंडन किया है। सो, इन तीनों पार्टियों को कांग्रेस के साथ लाना टेड़ी खीर है।
इन तीन के अलावा एक और नेता हैं, जिनके साथ प्रशांत किशोर को बड़ा नजदीकी संबंध रहा है। उनको लेकर भी अटकलें लग रही हैं। पीके ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए काम किया है। वे सबसे बुरे समय में नीतीश के साथ जुड़े थे। भाजपा का साथ छोड़ने और 2014 का लोकसभा चुनाव बुरी तरह से हारने के बाद नीतीश नए गठबंधन का प्रयास कर रहे थे। उस समय नीतीश ने जदयू, राजद और कांग्रेस का साझा बनवा कर चुनाव लड़वाया था। अभी नीतीश कुमार की पार्टी का भाजपा से तालमेल है। लेकिन लोकसभा चुनाव में दो साल है और राजनीति में दो साल की अवधि को अनंतकाल माना जाता है।
प्रशांत के पांचवें क्लायंट जगन मोहन रेड्डी हैं। वे भाजपा और कांग्रेस दोनों से तटस्थ हैं लेकिन कांग्रेस ने उनको जैसे घाव दिए हैं उसे देखते हुए उनका कांग्रेस के साथ आना बहुत मुश्किल है। इस तरह प्रशांत के कुल पांच क्लायंट ऐसे हैं, जिनको कांग्रेस के साथ लाना मुश्किल है। लेकिन प्रशांत असंभव को मुमकिन बनाने का काम करते रहे हैं। अगर उन्होंने यह कारनामा कर दिया तो 2024 का चुनाव बहुत अलग होगा। बहरहाल, प्रशांत किशोर के अन्य क्लायंट जैसे डीएमके, शिव सेना, राजद आदि पहले से कांग्रेस के साथ हैं।