महाराष्ट्र में दिवंगत नेताओं के परिजनों को आसानी से चुनाव जीतने देने की कोई परंपरा नहीं रही है। तभी सवाल है कि इस नाम पर भाजपा ने क्यों अपना उम्मीदवार हटाया? भाजपा ने अंधेरी ईस्ट सीट पर उम्मीदवार उतारा था और बड़े गाजे-बाजे के साथ नामांकन कराया था। इतना ही नहीं शिव सेना के उद्धव ठाकरे गुट की उम्मीदवार रुतुजा लटके को रोकने का भरपूर प्रयास किया था। पहले तो भाजपा ने प्रयास किया कि रुतुजा लटके उसकी टिकट से चुनाव लड़ जाएं। जब वे इसके लिए तैयार नहीं हुईं तो बीएमसी के क्लर्क पद से उनके इस्तीफे को रुकवा दिया गया। उन्होंने दो सितंबर को इस्तीफा दिया था और कायदे से एक महीने में उसे स्वीकार कर लिया जाना चाहिए था लेकिन तीन अक्टूबर को उनको बताया कि उनका इस्तीफा सही फॉर्मेट में नहीं है।
उन्होंने जब दोबारा इस्तीफा दिया तो उसे भी रोक दिया गया और अंत में इस्तीफा मंजूर कराने के लिए उनको हाई कोर्ट जाना पड़ा। हाई कोर्ट के आदेश के बाद उनका इस्तीफा मंजूर हुआ और तब आखिरी दिन उन्होंने परचा दाखिल किया। जब उन्होंने परचा दाखिल कर दिया तो राज ठाकरे, शरद पवार और प्रताप सरनाइक के जरिए भाजपा का उम्मीदवार हटवाने का खेल शुरू हुआ। कथित महान परंपरा का हवाला देकर राज ठाकरे ने देवेंद्र फड़नवीस को चिट्ठी लिखी और उसके बाद भाजपा ने उम्मीदवार हटा दिया।
असल में दिवंगत विधायक रमेश लटके की पत्नी रुतुजा लटके के उद्धव ठाकरे की पार्टी से उम्मीदवार बनने के बाद भाजपा को लग गया था कि उसका उम्मीदवार नहीं जीतेगा। वैसे भी पता नहीं किस हिसाब से मराठी बहुलता वाली अंधेरी ईस्ट सीट पर भाजपा ने गुजराती नेता मुर्जी पटेल को उम्मीदवार बनाया था। बहरहाल, नगर निगम चुनावों से पहले हार की आशंका से घबराई भाजपा ने राज ठाकरे, शरद पवार और प्रतार सरनाइक के जरिए माहौल बना कर अपना उम्मीदवार वापस कराया। अगर बीएमसी चुनाव से पहले अंधेरी ईस्ट सीट पर भाजपा और एकनाथ शिंदे गुट का साझा उम्मीदवार हारता तो उद्धव ठाकरे गुट के लिए माहौल बनता और उसके समर्थकों का उत्साह बढ़ता।