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राज्यपालों की नियुक्ति में पिछड़ गए अधिकारी

राष्ट्रपति ने केंद्र सरकार की सिफारिश पर 12 राज्यों में राज्यपाल और एक केंद्र शासित प्रदेश में उप राज्यपाल नियुक्त किया। इस बार की नियुक्तियों की खास बात यह रही कि इसमें किसी भी रिटायर अधिकारी को मौका नहीं मिला। राज्यपालों के तबादलों को छोड़ दें तो छह नए चेहरे राजभवनों में भेजे गए और सब राजनीति से जुड़े हैं। इससे पहले भी दिल्ली में उप राज्यपाल की नियुक्ति हुई थी तो किसी रिटायर अधिकारी को नियुक्त करने की परंपरा तोड़ते हुए केंद्र सरकार ने गैर सरकारी संगठन से जुड़े विनय कुमार सक्सेना को उप राज्यपाल बनाया था। अब पूरे देश में राजभवनों में बहुत गिने चुने अधिकारी ही बच गए हैं।

अगर उप राज्यपालों और प्रशासकों को छोड़ दें तो देश के 28 राज्यों में से सिर्फ दो राज्यों में पूर्व अधिकारी राज्यपाल हैं। तमिलनाडु में आरएन रवि पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंदा बोस पूर्व आईएएस हैं। इनके अलावा बाकी सारे राजनेता या सामाजिक कार्यकर्ता की पृष्ठभूमि वाले हैं। इस बार जो नई नियुक्ति हुई है उनमें सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज जस्टिस एस अब्दुल नजीर और पूर्व सैन्य अधिकारी कैवल्य त्रिविक्रम पारनाइक को छोड़ कर बाकी भाजपा की राजनीति से जुड़े रहे लोग हैं। तमिलनाडु प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष सीपी राधाकृष्णन को झारखंड का राज्यपाल बनाया गया है तो पूर्व केंद्रीय मंत्री शिव प्रताप शुक्ल को हिमाचल प्रदेश के राजभवन भेजा गया है। राजस्थान में नेता विपक्ष रहे दिग्गज भाजपा नेता गुलाब चंद कटारिया को असम का राज्यपाल बनाया गया है। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकारी बाबुओं को लेकर तीखी टिप्पणी की थी और उसके बाद से ही रवैया बदला हुआ है।

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