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केजरीवाल की महत्वाकांक्षा की परीक्षा

ByNI Political,
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केजरीवाल की महत्वाकांक्षा की परीक्षा
पांच राज्यों के चुनाव आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की महत्वाकांक्षा की परीक्षा की तरह हैं। इन चुनावों के नतीजों से उनकी अखिल भारतीय राजनीति की महत्वाकांक्षा को पर लग सकते हैं या फिर वे पस्त होकर बैठ सकते हैं। केजरीवाल वैसे तो बहुत दिन से अखिल भारतीय राजनीति करने की महत्वाकांक्षा पाले हुए हैं लेकिन 2020 में दूसरी बार दिल्ली में सरकार बनाने के बाद उनकी उम्मीद बढ़ी है। इस बार वे पंजाब, उत्तराखंड और गोवा में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद कर रहे हैं। पंजाब में तो उनकी पार्टी सरकार बनाने की संभावना देख रही है। कई चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में आम आदमी पार्टी के सबसे बड़ी पार्टी रहने का अनुमान जताया गया है। हालांकि 2017 के चुनाव में भी कई सर्वे एजेंसियां पंजाब में आप की सरकार बनवा रही थीं। चंडीगढ़ नगर निगम का चुनाव जीतने के बावजूद आप का मेयर नहीं बनने देकर भाजपा ने उनके प्रति सहानुभूति बनवा दी है। उत्तराखंड में केजरीवाल ने रिटायर सैन्य अधिकारी अजय कोटियाल को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बनाया है और मुफ्त बिजली, पानी से लेकर रोजगार तक के अनेक आकाशी दावे कर रहे हैं। गोवा में भी वे इसी किस्म के वादों पर चुनाव लड़ रहे हैं। उनकी कोशिश उत्तराखंड में खाता खोलने की है। तो गोवा में उनका प्रयास किसी तरह से दो-चार सीटें जीतने का है ताकि त्रिशंकु विधानसभा में सरकार बनाने के समय आप की भूमिका बनाई जा सके। वे पंजाब, गोवा और उत्तराखंड में इतनी सीटें हासिल करना चाहते हैं कि उनकी पार्टी राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिए आगे बढ़ पाए। इसके बाद वे गुजरात और हिमाचल प्रदेश पर फोकस करेंगे।
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