ऑल इंडिया एमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी बिहार में बड़ी राजनीति की तैयारी कर रहे हैं। उनकी राजनीतिक तैयारी राजद और कांग्रेस दोनों के लिए चिंता का सबब है। ध्यान रहे पिछले दिनों बिहार में हुए उपचुनावों में किशनगंज सीट पर ओवैसी का उम्मीदवार जीता। यह सीट पहले कांग्रेस ने जीती थी और इस सीट से जीते कांग्रेस के विधायक के लोकसभा चुनाव जीत कर सांसद बन जाने के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ था। सोचें, समूचे विपक्ष को बिहार में एक लोकसभा सीट मिली और उस सीट पर जीता हुआ सांसद अपनी विधानसभा सीट नहीं बचा सका! वह सीट ओवैसी ने जीत ली।
इस जीत से उत्साहित असदुद्दीन ओवैसी ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में बिहार में मुस्लिम और दलित गठजोड़ बना कर चुनाव लड़ने का इरादा बनाया है। इस काम में पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के नेता जीतन राम मांझी उनकी मदद कर सकते हैं। रविवार को ओवैसी एक रैली कर रहे हैं, जिसमें मांझी भी शामिल होंगे। ध्यान रहे मांझी महागठबंधन से अलग हो गए हैं और अपने लिए नई जगह तलाश रहे हैं। अगर ओवैसी के साथ उनका चुनावी तालमेल होता है तो कम से कम कोशी और सीमांचल के इलाके में कांग्रेस व राजद के लिए बहुत मुश्किल होगी। इससे जदयू और भाजपा को भी ध्रुवीकरण कराने में आसानी हो जाएगी।
बिहार में ओवैसी की बड़ी राजनीति
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